हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के सामने सत्ता को बरकरार रखने की चुनौती है। इस साल 12 मार्च को वह मनोहर लाल खट्टर के बाद प्रदेश के सीएम बने थे। अब उनके मुख्यमंत्री बनाए जाने के फैसले का चुनाव पर कितना असर पड़ेगा, यह एक महत्वपूर्ण सवाल है। मनोहर लाल खट्टर की साढ़े नौ साल तक चली सरकार को लेकर मजबूत एंटी इनकंबेंसी से वह कैसे पार पाएंगे यह भी देखना दिलचस्प होगा। आजतक की ओर से सी-वोटर के साथ मिलकर ‘मूड ऑफ द नेशन सर्वे’ किया गया है। जो यह दिखाता है कि हरियाणा में 44 फीसदी लोग बीजेपी सरकार के काम से संतुष्ट नहीं हैं। जबकि 27 प्रतिशत संतुष्ट हैं। यह सर्वे नायब सिंह सैनी की परेशानी बढ़ा सकता है। 

बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर शुरू हुई थी नायब सिंह सैनी की राजनीति 

नायब सिंह सैनी बीजेपी के काफी पुराने नेता हैं। उनका कोई विवादित अतीत नहीं है। कहा जाता है कि भाजपा के साथ उनका जुड़ाव पार्टी के राज्य मुख्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर शुरू हुआ था। वह मनोहर लाल खट्टर के साथ काम कर रहे थे, जो उस समय भाजपा के संगठनात्मक सचिव के रूप में कार्यरत थे। उन्हें पहली बार 1996 में पार्टी के संगठनात्मक कार्यों में शामिल किया गया था और 2002 में उन्हें अंबाला जिले में भाजपा युवा विंग का महामंत्री बनाया गया था। इसके बाद 2005 में वे युवा मोर्चा अंबाला के जिला अध्यक्ष बने और उसके बाद भाजपा के हरियाणा किसान मोर्चा के महामंत्री बने। 2012 में उन्हें अंबाला भाजपा का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। 

नायब सिंह सैनी ने 2009 में विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद  2014 में वे नारायणगढ़ से विधायक चुने गए और मंत्री पद हासिल करने में सफल रहे। 2019 में उन्हें कुरुक्षेत्र संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव में उतारा गया और उन्होंने जीत दर्ज की। अक्टूबर 2023 में वे हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष बने।

लोकसभा चुनाव के नतीजे : लिटमस टेस्ट में फेल हुए सैनी

नायब सिंह सैनी को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए मार्च में सीएम नियुक्त किया गया था, लेकिन इसका असर नहीं हुआ। भाजपा द्वारा राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से पांच हारने के बाद संसदीय चुनावों में वे लिटमस टेस्ट में फेल हो गए। यहां तक ​​कि भाजपा का वोट प्रतिशत भी 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में घटकर 12% रह गया था। 

अगर 1 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के बाद नायब सिंह सैनी फिर से नहीं चुने जाते हैं, तो वे हरियाणा के दूसरे सबसे छोटे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री होंगे। 

मुख्यमंत्री के प्रदर्शन से 40 फीसदी लोग नाखुश : सर्वे

इंडिया टूडे के सर्वे में दिखाया गया है कि नायब सिंह सैनी के काम से हरियाणा में 40 फीसदी लोग संतुष्ट नहीं हैं और 22 फीसदी संतुष्ट हैं। वहीं विपक्ष की भूमिका से 34 फीसदी लोग संतुष्ट हैं और 31 फीसदी संतुष्ट नहीं हैं।