हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद इंडिया गठबंधन के भीतर सबकुछ ठीक नहीं दिखाई दे रहा है। टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने एक हालिया बयान में गठबंधन की कमान संभालने से जुड़ी इच्छा ज़ाहिर की थी। सीएम ने कहा था कि वह दोनों ज़िम्मेदारी एक साथ निभाने में सक्षम हैं। उनके इस बयान के बाद गठबंधन के अन्य साथियों की ओर से भी बयान सामने आने लगे हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना (UBT) से नाराज सपा ने MVA से अलग होने का ऐलान किया है। क्षेत्रीय दल भी कांग्रेस के कमान संभालने से खुश नज़र नहीं आ रहे हैं, ऐसी चर्चाएं जारी हैं।

टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद ने क्या कहा?

टीएमसी सांसद कीर्ति आज़ाद ने सीएम ममता को इंडिया गठबंधन का प्रमुख बनाने के सवाल पर कहा “इंडिया गठबंधन की बैठक में सब तय होना है। हम तो कह रहे हैं कि आप स्ट्राइक रेट देखिए। मेरे लिए खड़गे जी, सोनिया जी और राहुल गांधी सम्मानीय हैं। आपने क्रिकेट में भी देखा है कि जब विराट कोहली कप्तानी कर रहे थे लेकिन जब चीज़ें ठीक नहीं चल रही थीं, तो उनकी जगह रोहित शर्मा को लाया गया था।”

इंडिया गठबंधन में क्यों नहीं है सबकुछ ठीक?

सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस पर कटाक्ष किया कि अगर उन्हें नेतृत्व का मौका दिया जाए तो वह गठबंधन का सुचारू संचालन को सुनिश्चित करेंगी। शुक्रवार को समाजवादी पार्टी (सपा) ने महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन से बाहर निकलने का फैसला किया, जब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी मिलिंद नार्वेकर ने एक्स पर बाबरी मस्जिद विध्वंस की एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे का 1992 का एक उद्धरण था जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें मस्जिद को गिराने वालों पर गर्व है। इसके बाद अबू आसिम आजमी ने कहा कि वह इसका समर्थन नहीं कर सकते।

ममता बनर्जी के समर्थन में आए शरद पवार, बोले-वह एक काबिल नेता हैं, उन्हें इच्छा ज़ाहिर करने का अधिकार है, इंडिया गठबंधन का भविष्य क्या होगा?

सीएम ममता बनर्जी का यह कटाक्ष ऐसे समय में आया है जब सपा और एनसीपी (सपा) जैसी पार्टियों ने संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान अडानी मुद्दे पर कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन से खुद को अलग कर लिया है। कुछ अन्य दलों के नेताओं का भी मानना ​​है कि विपक्ष को एक मुद्दे पर अड़े नहीं रहना चाहिए।