भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर कड़े विरोध का सामना कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एलान किया कि सरकार भूमि अध्यादेश को पुन: स्थापित या फिर से जारी नहीं करेगी। साथ ही उन्होंने राज्यसभा में लंबित विधेयक पर किसानों के हित में किसी तरह के सुझाव को स्वीकार करने को तैयार रहने की बात भी कही। भूमि अध्यादेश की मियाद 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगी। सरकार तीन बार भूमि अध्यादेश को पुन:स्थापित कर चुकी है।

आकाशवाणी पर रविवार को प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का नाम लिए बिना कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर इतने भ्रम फैलाए गए। किसानों को भयभीत कर दिया गया। उन्होंने कहा कि किसानों को भयभीत तो कतई नहीं होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा- हमने एक अध्यादेश जारी किया था। सोमवार 31 अगस्त को उसकी समयसीमा समाप्त हो रही है और मैंने तय किया है कि इसे समाप्त होने दिया जाए। जिस भूमि अधिग्र्रहण कानून के संबंध में विवाद चल रहा है, उसके विषय में हम एक बात कहते आ रहे हैं कि सरकार का मन खुला है। किसानों के हित के किसी भी सुझाव को मैं स्वीकार करने के लिए तैयार हूं।

मालूम हो सरकार तीन बार भूमि अध्यादेश को पुन:स्थापित कर चुकी है। भूमि विधेयक राजग के कुछ घटकों सहित विपक्षी दलों के कड़े विरोध के कारण संसद में पास नहीं हो सका है। प्रधानमंत्री की इस घोषणा से स्पष्ट होता है कि सरकार कानून को लागू करने के लिए सरकारी आदेश की बजाए विधायी मार्ग को अपनाएगी। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बाद में बताया कि अध्यादेश को पुन:स्थापित नहीं करने का फैसला नीति आयोग की उस सिफारिश की पृष्ठभूमि में लिया गया कि भूमि अधिग्रहण पर लागू कानून को राज्यों पर छोड़ देना चाहिए, क्योंकि विषय संविधान की समवर्ती सूची में है। सूत्रों के मुताबिक भूमि अधिग्रहण पर विधेयक अभी भी राज्यसभा में है और सरकार इस पर संसद की संयुक्त समिति के रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रही है।

किसी दल का नाम लिए बिना मोदी ने कहा- मैंने देखा कि इतने भ्रम फैलाए गए, किसानों को भयभीत कर दिया गया। किसानों को भ्रमित नहीं होना चाहिए और भयभीत तो कतई ही नहीं होना चाहिए। मैं ऐसा कोई अवसर किसी को देना नहीं चाहता हूं, जो किसानों को भयभीत करे। किसानों से किसी तरह के दुष्प्रचार में नहीं आने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लेकिन भूमि कानून में एक काम अधूरा था, और वो था- 13 ऐसे बिंदु थे, जिसको एक साल में पूर्ण करना था और इसलिए हम अध्यादेश में उसको लाए थे। लेकिन इन विवादों के चलते वो मामला भी उलझ गया। अपने 20 मिनट के संबोधन में मोदी ने कहा कि उन 13 बिंदुओं को, हम नियमों के तहत लाकर रविवार को ही लागू कर रहे हैं ताकि किसानों को नुकसान न हो, आर्थिक हानि न हो।

भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में सुधार की बात राज्यों की तरफ से आने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि सब को लगता था कि गांव, गरीब, किसान का अगर भला करना है, खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहरें बनानी हैं, गांव में बिजली पहुंचाने के लिए खंबे लगाने हैं, सड़कें बनानी है, गांव के गरीबों के लिए घर बनाने हैं, गांव के गरीब नौजवानों को रोजगार के लिए व्यवस्थाएं उपलब्ध करानी हैं, तो हमें अफसरशाही के चंगुल से, कानून को निकालना पड़ेगा। तब जाकर के सुधार का प्रस्ताव आया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे लिए जय-जवान, जय-किसान सिर्फ नारा नहीं है। ये हमारा मंत्र है जो गांव, गरीब, किसान के कल्याण से जुड़ा है। तभी तो हमने 15 अगस्त को कहा था कि सिर्फ कृषि विभाग नहीं, बल्कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग बनाया जाएगा, जिसका फैसला हमने बहुत तेजी से आगे बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री ने सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न कल्याण योजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जनधन योजना को एक साल पहले बड़े पैमाने पर हाथ में लिया गया था। अब तक मेरी जानकारी के अनुसार 17 करोड़ 74 लाख खाते खोले गए हैं। गरीबों ने बचत करके 22 हजार करोड़ रुपए की राशि जमा करवाई। अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा में बैंकिंग क्षेत्र भी है और यह व्यवस्था गरीब के घर तक पहुंचे, इसलिए बैंक-मित्र की योजना को भी बल दिया है।

मोदी ने कहा कि दो दिन पहले 1965 के युद्ध के पचास साल हुए और जब-जब 1965 के युद्ध की बात आती है तो लाल बहादुर शास्त्रीजी की याद आना बहुत स्वाभाविक है। जय-जवान, जय-किसान मंत्र भी याद आना बहुत स्वाभाविक है। और भारत के तिरंगे को, उसकी आन-बान-शान बनाए रखने वाले उन सभी शहीदों का स्मरण होना बहुत स्वाभाविक है। 1965 के युद्ध के विजय के सभी संबंधितों को मैं प्रणाम करता हूं। वीरों को नमन करता हूं।