वनों से जहां वन्यजीवों को भोजन प्राप्त होता है, वहीं सघन पेड़ों और झाड़ियों की ओट और वन कंदराओं से उन्हें सुरक्षा प्राप्त होती है। शाकाहारी वन्यजीव वन-प्रांत में मिलने वाले फल-फूलों, पत्तियों और घासों को खाकर जीवन निर्वाह करते हैं, तो मांसाहारी हिंसक जीव अपने से छोटे और कमजोर जंतुओं का शिकार कर अपना भोजन बना लेते हैं। इस तरह वन्यजीव आहार की यह सतत प्रक्रिया चलती रहती है। नैसर्गिक रूप से यह चक्र वनों के अस्तित्व को बनाए रखने में सहयोग करता है। वन्य जीव संसार में विविध पक्षी प्रजाति और सरीसृपों, मधुमक्खियों और तितलियों सहित अनेक प्रकार के कीट-पतंगों की भी भूमिका होती है, जो अपने स्तर पर जैव विविधता बनाए रखते हैं। वन क्षेत्रों में नदी, तालाब और पोखरों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वन्यजीव वनों की सुंदरता बनाए रखने के साथ ही इन्हें सुरक्षित बनाने में अपना योगदान देते हैं।

पिछले कुछ दशक में भारत सहित विश्व के अनेक देशों में वन्यजीवों के अस्तित्व पर संकट गहराने लगा है। कुछ दुर्लभ वन्यजीव विलुप्ति के कगार पर आ गए हैं। भारत में इस दिशा में केंद्र और राज्य सरकारें वन्यजीव संरक्षण नियमों को लागू कर इन्हें संरक्षित करने का प्रयास भी कर रही हैं। दुर्लभ वन्यजीवों के शिकार पर प्रतिबंध लगाने के अलावा इनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित रखने के लिए देश के कई स्थानों में वन्यजीव अभयारण्य तथा वन्यप्राणी उद्यानों की स्थापना करने और वनों को समृद्ध करने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा हो सके और वे स्वतंत्र रूप से वन क्षेत्रों में विचरण कर सकें। वन्यजीव संरक्षण के लिए देश में इस समय 103 राष्ट्रीय पार्क, 61 संरक्षित रिजर्व पार्क, 41 बाघ रिजर्व, 18 बायोस्पीयर रिजर्व, 25 रामसार नम भूमि क्षेत्र तथा पांच क्षेत्रों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया है। वर्तमान में भारत के कुल 3287263 वर्ग किमी क्षेत्रफल के सापेक्ष 117230.76 वर्ग किमी क्षेत्र (3.57 फीसद) में 528 वन्य जीव अभयारण्य स्थित हैं।

तेजी से हो रहे विकास कार्यों से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। वन्य जीवों के वास क्षेत्र भी प्रभावित हो रहे हैं। भू-कटाव, भू-स्खलन, तापमान की अधिकता, अत्यधिक शीत, बर्फबारी, जंगलों के कटान और सड़क निर्माण, बढ़ते उद्योग तथा नगरीकरण में बेतहाशा वृद्धि आदि से जैव विविधता में भी परिवर्तन आने लगा है। अवैध शिकार तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसे कारणों से भी वन्यजीवों की घटती संख्या चिंता का विषय है। कई जगहों पर वन्यजीवों की दहशत से लोगों का जीवन दूभर हो रहा है। वन्यजीवों ने वनों के आसपास बसे गांवों में लोगों के जीवन, खेती-बाड़ी और आजीविका के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। बाघ, गुलदार, भालू ,सुअर और हाथी जैसे जंगली जानवर जहां आबादी के बीच पहुंच कर लोगों पर हमले कर रहे हैं, वहीं बंदर, सेही, सुअर, हाथी, नीलगाय सरीखे जानवर फसल चौपट कर रह रहे हैं।

वन जीवों से निपटने में असहाय लोग

कुछ वन्यजीवों की संख्या लगातार बढ़ने, जंगलों में आग लगने, पानी की कमी, घनी आबादी के आसपास वन्यजीव विहारों की स्थापना करने और वन पारिस्थितिकी (जीव भोजन शृंखला) के असंतुलन जैसे कारणों से वन्यजीव मानव आबादी की ओर रुख कर रहे हैं। कठोर वन कानूनों के कारण ग्रामीण जनता वन्य जीवों के हमलों से निपटने में असहाय हैं। मानव और मवेशियों के लिए बेहद हिंसक और खेती-बाड़ी को नुकसान पहुंचाने वाले ये वन्यजीव आबादी के भीतर घुसपैठ न कर सकें, इसके लिए वनसीमाओं की चिह्नित जगहों पर सौर ऊर्जा चलित घेरबाड़, खाइयों के निर्माण, वन अभयारण्यों के पास से गुजरने वाले मार्गों पर कारिडोर निर्माण और ‘ट्रांजिट रेस्क्यू सेंटर’ की स्थापना सहित वन्यजीवों के अवैध शिकार को रोकने जैसे उपाय कारगर साबित हो सकते हैं।

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जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया वन्यजीवों के वास को सबसे पहले प्रभावित करती है। इससे न केवल स्थानीय भौगोलिक क्षेत्र पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि वनस्पति और उसमें विचरण करने वाले समस्त जीव-जंतु भी इससे प्रभावित होते हैं। अत्यधिक शीत और तापमान में वृद्धि होने से इनकी दिनचर्या में शिथिलता आ जाती है। एक संतुलित और निश्चित जलवायुगत दशाओं की उपस्थिति में ही वन में रहने वाले जीवों का जीवन निर्भर रहता है।

जंगलों में लगने वाली आग से भी वन्यजीव बुरी तरह प्रभावित रहते हैं। इस आग में वनक्षेत्र की अनेक वानस्पतिक प्रजातियों सहित विविध जीव-जंतु, पक्षी, छोटे कीट-पतंगों की प्रजातियां जल कर नष्ट हो जाती हैं। वनस्पतियों के जलने से उत्सर्जित कार्बन डाई आक्साइड और अन्य विषाक्त गैसों से वायुमंडल में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है, फलत: इसका प्रभाव वन्य जीवों समेत मानव जीवन पर भी पड़ता है। वनों की आग से कई दुर्लभ पशु-पक्षियों का अस्तित्व ही मिट जाता है। इस वजह से स्थानीय जैव विविधता को भारी क्षति पहुंचती है।

वन जीवों की हो रही तस्करी

वन क्षेत्रों में तस्करों द्वारा चोरी-छिपे अवैध तरीके से वन्य जीवों का जो शिकार किया जाता है, उसका दुष्प्रभाव भी जीवों पर पड़ता है। इससे उनकी संख्या पर असर तो पड़ता ही है, कई बहुमूल्य जीव प्रजातियां खत्म होने के कगार तक पहुंच जाती हैं। हालांकि वन्यजीवों की सुरक्षा तथा वन तस्करों के अवैध शिकार को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाते रहे हैं। इससे अवैध शिकार की घटनाओं के नियंत्रण में काफी हद तक सफलता भी मिल रही है।

वन क्षेत्रों से अत्यधिक मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों यथा पेड़ों का कटान, जड़ी-बूटियों का दोहन तथा खनिज पदार्थों की निकासी से भी वन्य जीवों का वास क्षेत्र प्रभावित हो जाता है। वनों में कमी आ जाने से वन में रहने वाले सभी जीव-जंतुओं की दिनचर्या पर दुष्प्रभाव पड़ने लगता है। जंगलों के आसपास खेती की जमीन के विस्तार, निजी और सरकारी भवनों, होटल आदि के निर्माण कार्यों तथा सड़क, रेल लाइन, बिजली लाइन और सुरंग निर्माण जैसे विकास कार्यों से वन क्षेत्र और उसकी प्राकृतिक संपदा को बहुत नुकसान पहुंचने से वन्य जीवों का वास क्षेत्र सीमित होने लगता है।

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नतीजतन, अनेक पादप और जीव प्रजातियां खत्म होने के कगार पर आ जाती हैं। इन परिस्थितियों में अनेक वन्य जीव अन्यत्र क्षेत्रों की ओर रुख करने को बाध्य होते हैं। नए वास क्षेत्र में इन वन्य जीवों को अनुकूलन करने में अनेक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। वन क्षेत्रों के बीच से गुजरने वाली रेलवे लाइनों और राष्ट्रीय राजमार्गों में यातायात की व्यस्तता का असर भी वन्य जीवों पर पड़ता है। वाहनों के शोरगुल और हार्न, सायरन और हूटर से भी वन्य जीवों का एकांत प्रभावित होता है। देखने में यह भी आता है कि अपने वास क्षेत्र में मानव की दखलदांजी को हाथी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में कई बार वे हिंसक हो जाते हैं। इसके अलावा वाहन आदि की चपेट में आने से वन्य जीवों की मौत तक भी हो जाती है।

तेजी से हो रहे विकास कार्यों से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। वन्य जीवों के वास क्षेत्र भी प्रभावित हो रहे हैं। भू-कटाव, भू-स्खलन, तापमान की अधिकता, अत्यधिक शीत, बर्फबारी, जंगलों के कटान और सड़क निर्माण, बढ़ते उद्योग तथा नगरीकरण में बेतहाशा वृद्धि आदि से जैव विविधता में भी परिवर्तन आने लगा है। अवैध शिकार तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसे कारणों से भी वन्यजीवों की घटती संख्या चिंता का विषय है। कई जगहों पर वन्यजीवों की दहशत से लोगों का जीवन दूभर हो रहा है।