भारतीय सेना के शहीद जवान रविंद्र संब्याल की पत्नी नीरू संब्याल अदम्य साहस और मजबूत इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए आर्मी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद लेफ्टिनेंट बनीं। नीरू के पति राइफलमैन रविंद्र वर्ष 2015 में अपने रजिमेंट में सेवाकाल के दौरान शहीद हो गए थे। दो वर्ष पहले ही अप्रैल 2013 में नीरू से उनकी शादी हुई थी। दोनों की एक बेटी भी थी। अचानक पति की मौत उनके लिए एक बड़ा सदमा था, लेकिन नीरू ने इस दुख की घड़ी में एक बड़ा फैसला लिया। वह टूटी नहीं, बल्कि अपनी बेटी के भविष्य और पति के पदचिन्हों पर आगे बढ़ते रहने के लिए भारतीय सेना में शामिल होने का निश्चय किया। वो सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनीं।

एएनआई के अनुसार, अपने संघर्ष और इस फैसले के पीछे की प्रेरणा के बारे में नीरू कहती हैं, “मेरी शादी अप्रैल 2013 में रविंद्र सिंह संब्याल के साथ हुई थी। मेरे पति पैदल सेना में थे। उनकी शहादत के बाद इस सच्चाई को स्वीकार करना कि अब वे नहीं रहे, काफी मुश्किल था। जब मैंने अपनी बेटी को देखा, तो मुझे उससे प्रेरणा मिली। एक नई शक्ति और उर्जा मिली। मैं नहीं चाहती कि उसे कभी अपने पिता के न होने का एहसास हो। मैं माता-पिता दोनों की तरह उसे प्यार करती हूं। उसे कभी ऐसा महसूस नहीं होने दिया कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। बेटी की वजह से मिली प्रेरणा ने मुझे 49 सप्ताह के प्रशिक्षण के दौरान मदद की। मुझे 8 सितंबर 2018 को कमीशन मिला। आर्मी में होने की वजह से मानसिक रूप से मजबूत होना पड़ता है। कभी-कभी ऐसी परिस्थतियां आती है, जहां शरीरिक नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती चाहिए होती है।”

नीरू को अपने परिवारवालों का भी काफी सहयोग मिला। इस सफलता के पीछे उनके मायके और ससुराल पक्ष दोनों का अहम योगदान रहा। अपनी बेटी की सफलता पर खुशी जाताते हुए नीरू के पिता दर्शन सिंह सलाठिया कहते हैं, “मैं आज बहुत खुश हूं। बेटी की सफलता पर मुझे गर्व है। मैंने उसे सपोर्ट करने के लिए हर संभव प्रयास किया। इस सफलता के पीछे उसके ससुरालवालों का भी काफी सहयोग रहा। यह मेरी बेटी का निश्चय था कि वह आर्मी ज्वाइन करेगी। शुरूआत में हमारे लिए यह फैसला असहज था, लेकिन बाद में हमने उसके सपनों को पूरा करने के लिए हर तरीके से उसे सपोर्ट करने का फैसला किया। आज हम काफी खुश है। आखिर एक माता-पिता को और क्या चाहिए!”