‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पंजाब कांग्रेस की कलह को देरी से निपटाने के सवाल के जवाब में कहा, ‘हम अपनी पार्टी में सबकी सुनते हैं। मोदी-शाह की तरह पार्टी नहीं चलाते हैं।’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सबकी बात सुनने के बाद सोनिया गांधी ने कमेटी गठित की। हरीश रावत, जय प्रकाश अग्रवाल और मैं पैनल में थे। हमने हर विधायक को 10-15 मिनट तक सुना, हमने मंत्रियों से बात की… हम मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ दो दिनों में छह घंटे तक बैठे रहे। सभी ने अपनी-अपनी शिकायतें साझा कीं। फिर हमें खामियां मिलीं, जिसके बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मामले को सुलझाने का काम किया। अंत में सोनिया गांधी ने दोनों पक्षों को आश्वासन दिया। आज प्रदेश में कांग्रेस मजबूत है। हम सत्ता में वापसी करेंगे।’

जब खड़गे से पूछा गया कि संसद के मानसून सत्र के खराब होने के लिए आपको क्या लगता है कि कौन जिम्मेदार है? इसके जवाब में खड़गे ने कहा, ‘हमारा एजेंडा मुद्दों को उठाना था। सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही नहीं, कम से कम 15 विपक्षी दलों ने हमारे अधिकारों, अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता को बचाने के लिए सत्र के लिए प्राथमिकताओं पर फैसला किया था … पेगासस स्पाइवेयर से किसी को भी नहीं बख्शा गया।’

उन्होंने कहा, ‘हमने फैसला किया था कि चार मुद्दों को उठाया जाएगा जिसमें पेगासस, कृषि कानून, कोविड -19, और महंगाई शामिल थे।हमने इन मुद्दों पर कई नोटिस दिए लेकिन उन सभी को खारिज कर दिया गया।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘जब हम पेगासस का मुद्दा उठा रहे थे, और यह बता रहे थे कि यह बुनियादी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, तो इसे व्यवधान कहा गया। उन्होंने (सरकार) कहा कि वे आरोपों से सहमत नहीं हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि क्यों?’

खड़गे ने कहा, ‘राजनाथ सिंह ने मुझे यह कहने के लिए बुलाया कि वह ताजिकिस्तान जा रहे हैं, जिसके बाद इस बारे में (पेगासस) कुछ करने की जरूरत है। फिर, (केंद्रीय मंत्री) पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी मुझसे मिलने आए। मैंने उनसे कहा कि हम विपक्षी दलों की बैठक कर रहे हैं, जिसके बाद हम उन्हें अपना फैसला बताएंगे। वे चले गए… फिर उन्होंने हॉल में कुछ विपक्षी नेताओं से बात की। सदन के कामकाज को सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।’