राज्‍यसभा में मंगलवार को एक बिल पारित किए जाने से पहले 200 से अधिक बार ध्‍वनिमत से वोटिंग कराई गई। जटिल प्रक्रिया के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट, कास्ट अकाउंटेंट और कंपनी सचिवों के संस्थानों के कामकाज में सुधार के लिए लाए गए विधेयक को मंगलवार को आखिर मंजूरी मिल ही गई। सदन ने कुछ विपक्षी सदस्यों ने संशोधनों को अस्वीकार किया लेकिन फिर भी बहुमत को देख इसे मंजूरी दे दी गई।

लोकसभा में यह विधेयक पिछले सप्ताह ही पारित हो चुका है। खास बात थी कि बिल पर चर्चा और वित्तमंत्री के जवाब में कुल 2 घंटे 20 मिनट का समय लगा। सदन का 18 फीसदी समय इस बिल के पारित होने में लग गया। माकपा के जॉन ब्रिटास ने संशोधन के लिए 163 नोटिस दिए थे। जबकि भाकपा के बिनय विश्वाम ने भी कुछ संशोधनों का प्रस्ताव दिया था। सभी प्रस्तावों पर सदन की मंजूरी ली जानी थी। इस वजह से बिल को पारित कराने के लिए राज्यसभा में 200 बार ध्वनिमत से वोटिंग कराई गई।

सीतारमण ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसमें कोई भी ऐसा प्रावधान नहीं है, जिससे चार्टड अकाउंटेंट, कॉस्‍ट और वर्क एकाउंटेंट और कंपनी सचिव संस्‍थान की स्वायत्तता का कोई उल्लंघन हो रहा हो। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का इन तीनों संस्थानों के कामकाज में हस्तक्षेप करने या इन्हें कमतर करने का कोई इरादा नहीं है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव है।

वित्त मंत्री ने कहा कि चार्टर्ड एकाउंटेंट, कॉस्‍ट और वर्क एकाउंटेंट तथा कंपनी सचिव से संबंधित संस्थान अलग-अलग काम करते हैं। उन्होंने कहा कि इन तीनों संस्थानों के संचालन के संबंध में एक विधान लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। वो अलग कानूनों के तहत कामकाज करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका सहित दुनिया के कई देशों में इस क्षेत्र में अच्छे काम हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम इन अच्छे अनुभवों की तर्ज पर पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाना चाहते हैं।