टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा

लगभग एक महीने के समय में खुद को ‘दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी’ बताने वाली भाजपा के पास लोकसभा या राज्यसभा में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं रहेगा, और इतना ही नहीं – पार्टी के पास सभी 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मुस्लिम विधायकों की संख्या शून्य है। केवल दो प्रश्न हमें खुद से पूछने की जरूरत है क्योंकि हम नई प्रतिनिधित्ववादी वास्तविकता का सामना करेंगे जो 7 जुलाई को सामने आएगी – जब राज्यसभा में अंतिम मुस्लिम भाजपा सांसद का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है – ये दो सवाल हैं: क्या इससे कोई फर्क पड़ता है? और क्या हम इसकी परवाह करते हैं? ये कहना है टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा का।

द इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक आर्टिकल में टीएमसी सांसद ने सोशल मीडिया पर आई कुछ प्रतिक्रियाओं का जिक्र करते हुए कहा, “यदि भाजपा समर्थक यह नहीं समझ पा रहे हैं कि लोकसभा में 301 सांसद (55 प्रतिशत) होने के बावजूद पार्टी के पास एक भी मुस्लिम नहीं होने के पीछे क्या गलत है; राज्यसभा में 95 सांसद (38 प्रतिशत) और विभिन्न राज्यों के 1,379 विधायक (33 प्रतिशत) हैं, यह इस बात का दुखद प्रतिबिंब है कि कैसे विक्षिप्‍त मानसिकता वाले अब बहुसंख्‍यक लोगों के सोचने की प्रक्रिया पर हावी हो गए हैं।”

वह कहती हैं कि यह वास्तव में मायने रखता है कि लगभग 204 मिलियन मुसलमानों के देश में जो आबादी का 15 प्रतिशत हैं, सत्ता में अपने तीसरे कार्यकाल में सत्ताधारी दल के पास एक भी मुस्लिम निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है। यह इस ओर इशारा करता है कि भाजपा सक्रिय रूप से मुसलमानों के साथ भेदभाव करती है।

टीएमसी सांसद ने भाजपा को दी नसीहत

महुआ मोइत्रा आगे लिखती हैं, “मैं भाजपा से यह कहती हूं- एक राजनीतिक दल एक निजी डिनर पार्टी से मौलिक रूप से अलग होता है; आपको केवल उन लोगों को आमंत्रित करने की आजादी नहीं है जिन्हें आप चाहते हैं क्योंकि आप भोजन के बदले भुगतान कर रहे हैं। मुसलमान इस देश के खून और शरीर का अभिन्न अंग हैं, और कोई भी राजनीति जिसके परिणामस्वरूप निर्णय लेने और राय बनाने की प्रक्रियाओं से उनका बहिष्कार होता है तो भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में यह स्वीकार्य परिणाम नहीं है। यह मायने रखता है और आपको इसकी परवाह करनी चाहिए।”