मराठा क्षत्रप शरद पवार अपनी पार्टी को लेकर बड़ा फैसला कर चुके हैं। बीते दिनों उन्होंने NCP के 24वें स्थापना दिवस पर अपनी बेटी और बारामती से पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले को पार्टी का नेशनल वर्किग प्रेसिडेंट घोषित कर दिया। सुप्रिया सुले के अलावा प्रफुल्ल पटेल को भी पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।

सुप्रिया को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना अजित पवार के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। अब सभी की निगाहें अजित पवार पर हैं कि वो आने वाले दिनों में क्या फैसला लेते हैं। सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को शरद पवार द्वारा पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने भले ही कुछ लोगों को चौंकाने वाला लगे लेकिन ये दोनों वर्षों से उनके करीबी हैं और इसीलिए पार्टी में नंबर 2 बनाए गए हैं।

सुप्रिया सुले

शरद पवार की एकमात्र संतान- सुप्रिया सुले को उनके सियासी करियर की शुरुआत से ही ‘दिल्ली वाला रोल’ दिया गया। वह साल 2006 में राज्यसभा पहुंचीं। साल 2009 में वो अपने पिता की सीट बारामती से जीतकर लोकसभा पहुंचीं। इस सीट पर पवार परिवार का 1991 से कब्जा है। शरद पवार पहली बार यहां से 1984 में जीते थे। पवार परिवार यहां सिर्फ 1994 का उपचुनाव हारा है।

जिस समय सुप्रिया का सियासी करियर शुरू हुई, उस समय अजित पवार राजनीति में स्थापित हो चुके थे। वह बारामती विधानसभा के विधायक थे और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री पद संभाल रहे थे। सुप्रिया सुले ने इसके बाद 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव भी जीता। मराठी के साथ अच्छी हिंदी और अंग्रेजी बोलने वाली यह सासंद दिल्ली के पावर कॉरिडोर में तेजी से बढ़ती भी दिखाई दीं। इसके अलावा वह एक प्रभावी सांसद भी साबित हुईं। अपने पिता शरद पवार की तरह सुप्रिया सुले ने विभिन्न पार्टियों और राज्यों में न सिर्फ सौहार्दपूर्ण संबंध भी विकसित किए बल्कि उन्हें बनाए भी रखा।

सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने से ज्यादा जो चौंकाता है, वह यह कि उन्हें शरद पवार ने महाराष्ट्र के साथ कई अन्य प्रदेशों का इंचार्ज भी बनाया है। अब सुप्रिया सीधे तौर पर अपने चचेरे भाई अजीत के खिलाफ खड़ी नजर आती हैं। हालांकि पार्टी पर कंट्रोल को लेकर पवार परिवार में लड़ाई के बीच, सुप्रिया सुले ने हाल तक कहा था कि वह महाराष्ट्र में पार्टी के काम में दखल नहीं देंगी क्योंकि “मेरे भाई अजीत” इसे देख रहे थे।

इंडियन एक्सप्रेस के एक कार्यक्रम में सुप्रिया सुले ने कहा कि किस नेता को क्या काम देना है, इस बारे में NCP बहुत स्पष्ट थी। बता दें कि मई 2023 में शरद पवार ने जब पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था तब इस बात की चर्चाएं काफी ज्यादा थीं कि सुप्रिया सुले पार्टी अध्यक्ष बनाई जा सकती हैं जबकि अजित को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी दी जाएगी।

माना जा रहा है कि जो फैक्टरी सुप्रिया सुले के पक्ष में गया वह यह कि वो अपनी भाई अजित की तरह जल्दबाजी में नहीं दिखाई देतीं। उन्होंने सबको साथ लेकर चलने में लचीलापन भी दिखाया है। इसीलिए माना जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता आसानी से उनके नेतृत्व को स्वीकार कर लेंगे।

संयोग से सुप्रिया सुले की NCP कार्यकारी अध्यक्ष और महाराष्ट्र प्रभारी के रूप में की गई नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब बीजेपी ने 2024 के आम चुनावों के लिए बारामती लोकसभा सीट पर फोक्स करने का इरादा जताया है। इसपर सुप्रिया सुले ने कहा कि वह “चुनौती” का स्वागत करती हैं और यह प्रतिस्पर्धा लोकतंत्र में अच्छी है।

राजनीति के अलावा सुप्रिया सुले ने महिला स्वयं सहायता समूहों के बीच अपने काम के लिए नाम कमाया है। साल 2012 में उन्होंने NCP के भीतर युवा महिलाओं के लिए राष्ट्रवादी युवती कांग्रेस नामक एक मंच स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह यशवंतराव चव्हाण केंद्र के कामकाज को भी संभालती हैं, जो पवार द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख संस्था है।

प्रफुल्ल पटेल

सुप्रिया सुले के अलावा विदर्भ के भंडारा जिले से संबंध रखने वाले प्रफुल्ल पटेल को भी पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। हालांकि MVA के गठन के बाद से प्रफुल्ल पटेल उतने ज्यादा एक्टिव नजर नहीं आ रहे थे। माना जाता है कि इसके पीछे की एक बड़ी वजह CBI और ED द्वारा विमानन घोटाले की जांच के कारण उन पर मंडरा रहा खतरा था।

इस घोटाले को लेकर उनके पूछताछ भी हो चुकी है। प्रफुल्ल पटेल 2004 से 2011 तक नागरिक उड्डयन मंत्रालय संभाल चुके हैं। इसके अलावा ED गैंगस्टर इकबाल मिर्ची से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में प्रफुल्ल पटेल से संबंधित कुछ संपत्तियों को भी जब्त कर चुकी है।

प्रफुल्ल पटेल साल 1991 में महज 33 साल की उम्र में भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट के सांसद चुने गए थे। इसके बाद वह 1996 और 1998 में कांग्रेस के टिकट पर जीते। जब 1999 में NCP का गठन हुआ, तब वह शरद पवार की पार्टी में शामिल हो गए। उन्हें NCP ने साल 2000 और साल 2006 में राज्यसभा भेजा। वह 2009 में भंडारा से सांसद चुने गए जबकि 2014 में लोकसभा चुनाव हारने पर पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया।

अपने सियासी करियर के अलावा प्रफुल्ल पटेल साल 2009 से साल 2022 तक ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह एक व्यापारी परिवार से आते हैं। उनका व्यापारी समुदाय के बीच एक बड़ा नेटवर्क भी है। प्रफुल्ल पटेल के पक्ष में एक बात और यह जाती है कि वो शरद पवार के बेहद करीबी उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जो NCP चीफ, सुप्रिया सुले और अजित पवार से अच्छे संबंध रखते हैं।