सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय और देश भर के उच्च न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों के कम अनुपात पर चिंता जताई। एसबीसीए द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया, ‘भारत के प्रधान न्यायाधीश और कॉलेजियम से अनुरोध किया जाता है कि वे उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायिक नियुक्तियों के आगामी दौर में अधिक महिला न्यायाधीशों की पदोन्नति पर तत्काल और उचित विचार करें।’

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने जताई गहरी चिंता

वकीलों की संस्था ने कहा कि यह रिकार्ड में दर्ज है कि उत्तराखंड, त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर जैसे कई उच्च न्यायालयों में वर्तमान में कोई महिला न्यायाधीश नहीं है, और देश भर में उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लगभग 1,100 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से लगभग 670 पर पुरुष और केवल 103 पर महिलाएं कार्यरत हैं, जबकि शेष रिक्त हैं। प्रस्ताव में कहा गया, ‘एससीबीए इस बात पर गहरी निराशा व्यक्त करता है कि उच्चतम न्यायालय में हाल ही में हुई नियुक्तियों में बार या बेंच से किसी भी महिला न्यायाधीश को पदोन्नत नहीं किया गया, जबकि 2021 से उच्चतम न्यायालय में किसी भी महिला न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं हुई है।

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मौजूदा समय में उच्चतम न्यायालय की पीठ में केवल एक महिला न्यायाधीश कार्यरत हैं।’ इसमें कहा गया कि एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने 24 मई और 18 जुलाई को प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों सहित उच्च न्यायपालिका में पदों पर कम से कम आनुपातिक प्रतिनिधित्व महिलाओं द्वारा भरा जाए।

वकीलों की संस्था ने कहा कि एससीबीए का दृढ़ विश्वास है कि अदालती पीठ में अधिक लैंगिक संतुलन न केवल निष्पक्ष और समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, बल्कि न्यायपालिका में जनता के विश्वास को मजबूत करने, न्यायिक दृष्टिकोण को समृद्ध करने और न्याय की सर्वोच्च संस्था में हमारे समाज की विविधता को प्रतिबिंबित करने के लिए भी आवश्यक है।