Onion Price Hike: पिछले कुछ हफ्तों में प्याज की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला है। इसके चलते ही केंद्र सरकार ने प्याज के निपटान को बढ़ाने का फैसला किया है, जिसमें बफर स्टॉक को खाली करना भी शामिल है। उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से प्रेस रिलीज में कहा है कि सरकार बाजार के घटनाक्रम से वाकिफ है और प्याज की कीमतों (Onion Prices in India) को स्थिर करने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए मॉनिटर कर रही है।

खाद्य एवं नागरिक वितरण मंत्रालय की पीएमसी द्वारा रिपोर्ट की गई अखिल भारतीय मॉडल (औसत) खुदरा कीमत के अनुसार प्याज की कीमत 60 रुपये प्रति किलोग्राम है। पुणे, दिल्ली, चंडीगढ़ और कुछ अन्य शहरों के बाजारों में प्याज की कीमत 100 रुपये (Onion Price) प्रति किलोग्राम से अधिक बताई गई है। अब सवाल यह है कि आखिर प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह क्या है, और क्या ये जल्द ही कम हो सकती हैं।

क्यों बढ़ रहीं प्याज की कीमतें

प्याज की कीमतों (Onion Prices Today) में यह उछाल तब आया है, जब साल के अधिकांश समय में इसकी कीमतें स्थिर थी। देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक जिले महाराष्ट्र के नासिक के थोक बाजार के व्यापारियों ने कहा कि मौजूदा स्थिति पूरी तरह से अस्थायी है और किसानों की ओर से आपूर्ति में कमी के कारण ऐसा हुआ है।

नासिक के डिंडोरी थोक बाजार के एक व्यापारी ने कहा कि पिछले साल के रबी सीजन का पुराना स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है और नया स्टॉक अभी बाजारों में आना बाकी है। आपूर्ति-मांग का यह असंतुलन ही प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण है। जिले के लासलगांव थोक बाजार में प्याज की दैनिक ((Onion Price Per KG)) आवक 200-250 टन के बीच है। पिछले साल यह आंकड़ा करीब 1,000 टन था।

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प्याज की कीमतें कब कम होंगी?

प्याज़ की खेती साल में तीन बार होती है। महाराष्ट्र में किसान जून और जुलाई में खरीफ प्याज़ की फसल (Onion Price Online) बोते हैं और अक्टूबर से इसकी कटाई करते हैं। हालाँकि, इस साल अक्टूबर के मध्य में बारिश और अक्टूबर के अंत में दिवाली पड़ने के कारण यह प्रक्रिया देरी से शुरू हुई। एक अन्य फसल, लेट खरीफ, सितंबर और अक्टूबर के बीच बोई जाती है और दिसंबर के बाद काटी जाती है। सबसे महत्वपूर्ण रबी फसल दिसंबर से जनवरी तक बोई जाती है और मार्च के बाद काटी जाती है।

10 दिनों में कम हो सकती है प्याज की कीमत

अक्टूबर की बारिश से खरीफ फसल की कटाई पर बहुत असर पड़ा है। पूरे भारत में खरीफ की बुवाई पिछले साल के 2.85 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 3.82 लाख हेक्टेयर से अधिक हुई है। देर से होने वाली खरीफ की बुवाई 0.55 लाख हेक्टेयर से अधिक हुई है, जबकि 2023 में यह 1.66 लाख हेक्टेयर होगी। व्यापारियों को उम्मीद है कि कटाई और सामान्य आपूर्ति बहाल होने के बाद अगले 10 दिनों में प्याज की कीमतें (Onion Prices Rise) स्थिर हो जाएंगी।