दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच की सिफारिश की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केजरीवाल पर सिख फॉर जस्टिस संगठन से फंड लेने का आरोप है। एलजी हाउस के सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह सिफारिश वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन के आशु मोंगिया की शिकायत के आधार पर की गई थी।

आशु मोंगिया ने आरोप लगाया कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को जेल में बंद देविंदर पाल भुल्लर की रिहाई में मदद करने और खालिस्तानी समर्थक भावनाओं को बढ़ावा देने सिख फॉर जस्टिस संगठन से 16 मिलियन डॉलर मिले थे। आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे अरविंद केजरीवाल के खिलाफ साजिश बताया है।

क्या है सिख फॉर जस्टिस संगठन?

सिख फॉर जस्टिस की स्थापना 2007 में अमेरिका स्थित वकील गुरपतवंत सिंह पन्नु ने की थी। अपनी वेबसाइट के मुताबिक यह संगठन भारत के कब्जे वाले पंजाब खालिस्तान नाम का एक आज़ाद देश स्थापित करना चाहता है। अब इस मामले में आशु मोंगिया नाम के शख्स ने एलजी के पास शिकायत पहुंचाई थी। आशु मोंगिया खुद को वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन के महासचिव के तौर पर पेश करते रहे हैं।

क्या आरोप लगाए हैं?

आशु मोंगिया ने जो शिकायत अप्रैल माह में दर्ज कराई थी उसके मुताबिक न्यूयोर्क के रिचमंड हिल गुरुद्वारे में हुई एक मीटिंग से जुड़ा था। जहां देविंदर पाल भुल्लर की रिहाई पर चर्चा हुई थी। देविंदर पाल भुल्लर फिलहाल अमृतसर की एक जेल में कैद है।

देविंदर पाल भुल्लर कौन है?

देविंदर पाल भुल्लर भटिंडा के दयालपुरा भाईके का रहने वाला है और उसपर दिल्ली बम विस्फोटों के सिलसिले में सितंबर 1993 में टाडा के और अन्य संबंधित कानूनों के तहत मामला दर्ज किया गया था। 2001 में दिल्ली की एक अदालत ने भुल्लर को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था। वह पेशे से केमिकल इंजीनियरिंग प्रोफेसर रहा और दिल्ली में बम विस्फोट के लिए दोषी ठहराए जाने से पहले लुधियाना में टीचर था।

993 में दिल्ली में युवा कांग्रेस मुख्यालय (Youth Congress Headquarter, Delhi) के बाहर हुए विस्फोट का मुख्य आरोपी है। विस्फोट (Blast) में नौ लोग मारे गए थे। जर्मनी से निर्वासन के बाद भुल्लर को गिरफ्तार किया गया था। वह इस मामले में आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा काट रहा है और वर्तमान में पंजाब के अमृतसर सेंट्रल जेल में बंद है। जून 2015 से वह सरकारी मेडिकल कॉलेज, अमृतसर के मनोरोग विभाग में भर्ती हैं।

भुल्लर को साल 2001 में मौत की सजा सुनाई गई थी। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। वह 1995 से जेल में है। 2012 में पता चला कि वह अवसाद से पीड़ित है और इसलिए उसे दिल्ली के एक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। परिवार की दलील के आधार पर उन्हें 2015 में अमृतसर के अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था। 2016 से पंजाब सरकार ने उसे पैरोल पर बाहर आने की अनुमति दी है।