Unified Pension Scheme: बीते शनिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूपीएस को मंजूरी दे दी। यूपीएस को लेकर मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है जबकि विपक्ष का कहना है उनके प्रेशर में सरकार यू-टर्न लेने को मजबूर हुई। सरकार यूपीएस को एनपीएस का बेहतर वर्जन बता रही है।

हालांकि, बीजेपी को एनपीएस को लेकर सरकारी कर्मचारियों के बीच गुस्से का एहसास है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा कि इस गुस्से की वजह से सरकारी कर्मचारी विपक्ष के नजदीक जाते मालूम पड़ रहे थे। हम उम्मीद कर रहे हैं कि अब यूपीएस (Unified Pension Scheme) से उनका गुस्सा शांत हो जाएगा।

इस साल चार राज्यों में चुनाव होना है। इन राज्यों में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के अलावा महाराष्ट्र और झारखंड शामिल हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इन चारों राज्यों में पोस्टल बैलेट के मामले में 2019 के मुकाबले 2024 में बीजेपी को नुकसान हुआ है। वैसे पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान की सुविधा वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को भी दी जाती है लेकिन इसमें एक बड़ी तादाद इलेक्शन ड्यूटी और जरूरी सेवाओं पर तैनात सरकारी कर्मियों की होती है। इसमें डिफेंस फोर्स भी शामिल है।

2019 के मुकाबले हरियाणा में बीजेपी को हुआ बड़ा नुकसान

साल 2019 लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी ने सभी दस संसदीय सीटों पर जीत दर्ज की थी। यहां बीजेपी को 53,689 पोस्टल वोट्स में से 74% हासिल हुए थे जबकि कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 16% पोस्टल वोट्स से संतुष्टि करनी पड़ी थी। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ। यहां बीजेपी दस से पांच सीटों पर आ गई जबकि अन्य पांच सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को पोस्टल बैलेट में से 48.49% शेयर मिला जबकि बीजेपी का हिस्सा घटकर 44.26% पर आ गया। हरियाणा में एक अक्टूबर को वोट डाले जाने हैं।

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जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-एनसी को हुआ फायदा

बात अगर जम्मू-कश्मीर की करें तो यहां तीन चरणों – 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। हरियाणा की तरह जम्मू-कश्मीर में भी बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ है। यहां 2019 को बीजेपी को 53,737 पोस्टल बैलेट में से 69% शेयर मिला था जबकि कांग्रेस और एनसी मिलकर 16% डाक मतपत्र ही हासिल कर पाए थे। इस साल लोकसभा चुनाव में 42,867 पोस्टल बैलेट (लद्दाख लोकसभा को हटाकर) में से बीजेपी को  33.26% वोट मिले जबकि कांग्रेस-एनसी 38.64% शेयर हासिल करने में सफल रहे। जम्मू-कश्मीर में इस बार भी बीजेपी दो ही सीट हासिल कर पाई।

महाराष्ट्र में हुआ बड़ा नुकसान

महाराष्ट्र में हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ। साल 2019 में यहां बीजेपी और संयुक्त शिवसेना को 2.15 लाख पोस्टल बैलेट में से 54.8% वोट हासिल हुए थे। तब कांग्रेस औऱ एनसीपी को 30.15% पोस्टल बैलेट मिले थे। इस बार बदले हालातों में महाराष्ट्र में एनडीए को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। यहां कांग्रेस-शरद गुट और उद्घव गुट ने मिलकर 43.72% पोस्टल बैलेट हासिल किए जबकि बीजेपी-शिंदे गुट और अजित पवार गुट को इसके 39% हिस्से से संतोष करना पड़ा। महाराष्ट्र में 2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए को 48 में से 41 सीटें हासिल हुईं थीं जबकि इस बार यह संख्या घटकर 17 पर आ गई।

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झारखंड में भी स्थिति चिंताजनक

झारखंड में भी इस साल चुनाव होना है। यहां बीजेपी के साथ AJSU ने साल 2019 लोकसभा चुनाव में 38,553 पोस्टल बैलेट में से 57% बैलेट वोट हासिल किए जबकि जेएमएम-कांग्रेस और CPI(ML) को मिलाकर 32.49% पोस्टल बैलेट मिले। तब एनडीए को झारखंड में 14 में से 12 लोकसभा सीटें हासिल हुई थीं। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में यहां भी कांग्रेस के गठबंधन को बीजेपी से ज्यादा पोस्टल बैलेट हासिल हुए। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस गठबंधन को 47% पोस्टल बैलेट और बीजेपी गठबंधन को 42% पोस्टल बैलेट हासिल हुए।

सियासी दल इसे कैसे देखते हैं?

बीजेपी के एक सीनियर नेता कहते हैं कि सरकारी कर्मचारी शिक्षित वोटर होते हैं और उन्होंने पूर्व में बड़े पैमाने पर बीजेपी को सपोर्ट किया है। लेकिन अब वो हाल के समय में ओल्ड पेंशन स्कीम की वजह से विपक्ष की तरफ शिफ्ट होते मालूम पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके अन्य दलों की तरफ जाने की एक वजह ये भी है कि बीजेपी की सरकारों सिस्टम में पारदर्शिता लाने के लिए सरकारी कर्मचारियों से अधिक जवाबदेही की मांग कर रही हैं। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अंशुल अविजित कहते हैं कि नया यूपीएस सिस्टम विधानसभा चुनाव में बीजेपी की मदद नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि हर वोट मैटर करता है लेकिन जब चुनावी मुकाबला करीबी होता है तो पोस्टल बैलेट अंतर पैदा करते हैं।

एक नजर अगर यूपी में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव पर डाले तो यहां सपा ने 2017 के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया था। तब सपा गठबंधन को 2.25 लाख पोस्टल बैलेट हासिल हुए थे जबकि बीजेपी को 1.48 लाख पोस्टल बैलेट। चुनाव में बीजेपी ने 403 विधानसभा में से  273 पर जीत हासिल की थी जबकि सपा गठबंधन ने 125 सीटें जीती थीं। इसी वजह से सपा द्वारा सीटों के नुकसान पर सवाल खड़े गए थे।