केंद्र सरकार ने वक्फ एक्ट में संशोधन से जुड़े बिल को जेपीसी के पास भेज दिया है। संसद में जब बिल पेश किया गया तो विपक्ष की ओर से कांग्रेस, समाजवादी पार्टी ने जमकर विरोध किया। इस बिल को गैर-संवैधानिक कहा गया। संसद के बाहर भी मुस्लिम संगठनों ने बिल का विरोध किया और इसे वक्फ बोर्ड में दखल करार दिया। लेकिन शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद चर्चा के दौरान संसद से नदारद रहे। यह उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है क्योंकि वह बीजेपी से अलग होने के बाद से मुसलमानों के बीच पार्टी की अच्छी छवि बनाने का प्रयास करते देखे गए हैं।

उद्धव ठाकरे का विरोध : मुसलमान नाराज

मुंबई में उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री के पास एक मुस्लिम संगठन के कुछ लोग इकट्ठा हुए। उनका विरोध बिल पेश किए जाने के समय शिवसेना (यूबीटी) के सांसदों के नदारद रहने को लेकर था। हालांकि शिवसेना (यूबीटी) ने प्रदर्शनकारियों को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना द्वारा किराए पर लिए गए पेड ट्रोल कह कर पूरी तरह खारिज कर दिया। लेकिन यह एक संकेत है कि मुसलमानों के बीच उद्धव ठाकरे की छवि इस स्टेप के बाद खराब हुई है।

क्यों नाराज हुए मुसलमान?

नासिक के एक सामाजिक कार्यकर्ता अहमद काजी ने इस सवाल का जवाब दिया और कहा कि मुसलमानों ने लोकसभा चुनावों में उद्धव का दिल से समर्थन किया क्योंकि वह महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का सबसे पसंदीदा चेहरा बनकर उभरे थे। उन्होंने कहा, “हमारा ऐसा मानना था कि उनके समर्थन से शिवसेना (यूबीटी) मुस्लिम समुदाय के मुद्दों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हो जाएगी। वक्फ से जुड़े बिल जैसे संवेदनशील मुद्दे का विरोध करने में शिवसेना (यूबीटी) के सांसद नदारद रहे। यह एक धोखे की तरह है।”

क्यों शामिल नहीं हुए उद्धव गुट के सांसद?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक (यूबीटी) का कहना है कि जिस दिन बिल पेश किया गया था सांसदों की उद्धव ठाकरे के साथ दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक थी, इसलिए वह शामिल नहीं हो पाए थे। राजनीतिक विश्लेषक इसका कारण दूसरा मानते हैं। उनका मानना है कि शिवसेना ने प्लानिंग के तहत बिल पर चर्चा से दूरी बनाई हो सकती है।

शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इस मुद्दे को कमतर आंकते हुए कहा कि उनकी पार्टी विपक्षी दल इंडिया का हिस्सा है और जब विधेयक लोकसभा में पेश किया गया तो उसके सांसदों का मौजूद होना ज़रूरी नहीं था