Javed Akhtar In RSS Defamation Case: मुंबई की एक कोर्ट ने प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर को मानहानि के एक मामले में बरी कर दिया। जावेद अख्तर के खिलाफ एक वकील ने मानहानि का केस किया था। वकील ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि जावेद अख्तर ने आरएसएस को बदनाम करने की कोशिश की थी।
बार-बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतकर्ता अधिवक्ता संतोष दुबे, जिन्होंने अख्तर पर आरएसएस को बदनाम करने का आरोप लगाया था। उन्होंने मध्यस्थता के माध्यम से अब गीतकार के साथ मामला सुलझाने के बाद मामला वापस ले लिया है। इसके बाद कोर्ट ने मामले को बंद कर दिया और जावेद अख्तर को बरी कर दिया।
मुलुंड के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) एसडी चक्कर ने 8 नवंबर को पारित आदेश में दुबे द्वारा अक्टूबर 2021 में दर्ज की गई शिकायत को वापस लेने का आदेश दर्ज किया।
कोर्ट ने कहा कि शिकायत वापस ले ली गई। जिसके आधार पर उसका निपटारा किया जाता है। आरोपी जावेद अख्तर को भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत दंडनीय अपराध के लिए बरी किया जाता है। तदनुसार मामले का निपटारा किया जाता है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि अख्तर ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में अफगानिस्तान पर कट्टरपंथी समूह के कब्जे के मद्देनजर आरएसएस और तालिबान के बीच समानताएं बताई थीं।
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आरएसएस समर्थक दुबे ने अख्तर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि के लिए सजा) का आरोप लगाया था। शिकायत में गीतकार पर जान-बूझकर टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था। जिससे आरएसएस को बदनाम किया गया।
हालांकि, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में संतोष दुबे ने कोर्ट को बताया कि मामला पक्षों के बीच मध्यस्थता से सुलझ गया है और परिणामस्वरूप वह अब मानहानि के आरोपों को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं। इसके बाद मजिस्ट्रेट चक्कर ने अख्तर को बरी कर दिया और मामले का निपटारा कर दिया।