भारत के चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के लिए विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज क्यों नहीं किया गया? क्योंकि यहां भी चुनाव आमतौर पर हरियाणा के साथ ही होते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ने इस सवाल का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला जम्मू-कश्मीर में हो रहे चुनावों और महाराष्ट्र के त्योहारी मौसम को देखते हुए लिया गया है।

जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव हो रहे हैं और यह इलाका संवेदनशील भी है, ऐसे में पूरी तवज्जोह इस इलाके को देने और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए ऐसा किया गया है।

चुनाव आयुक्त ने क्या कहा?

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की और कई सवालों के जवाब दिए। महाराष्ट्र में चुनाव नहीं कराने को लेकर भी उनका जवाब सामने आया है। इस फैसले के प्रमुख कारणों में जम्मू-कश्मीर और त्योहारी मौसम का हवाला दिया गया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया में भी देरी हुई है। इसलिए भी ऐसा किया गया है। इस साल चार विधानसभा चुनाव होने हैं, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड। दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होंगे।

राजनीतिक दलों ने उठाए सवाल

महाराष्ट्र में राजनीतिक दलों ने इस फैसले के लिए चुनाव आयोग की आलोचना की है। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “एक राष्ट्र, एक चुनाव की सभी बातों के बावजूद संपूर्ण समझौता आयोग (उर्फ चुनाव आयोग) सुरक्षा बलों पर प्रतिबंध को महाराष्ट्र में चुनाव न कराने का कारण बताता है, जबकि जम्मू-कश्मीर में एक साथ चुनाव होते हैं।”

शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने आरोप लगाया कि बीजेपी के नेतृत्व वाला महायुति गठबंधन चुनाव आयोग की मदद से समय टाल रहा है। लेकिन इससे उन्हें कोई फायदा हासिल नहीं होगा और महाराष्ट्र की जनता उन्हें जवाब देगी।