पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानि PFI पर बैन के लिए केंद्र सरकार ने कई कारण गिनाए हैं। इमें सबसे अहम ये है कि इसके लिंक सीरिया और इराक में सक्रिय ISIS से जुड़े हैं। सरकार का दावा है कि PFI से जुड़े लोगों ने इस्लामिलक स्टेट से जुड़कर सीरिया और इराक में आतंकी वारदातों को अंजाम दिया।

गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक इस्लामिक स्टेट के साथ जुड़ने के बाद PFI के कुछ लोग अरेस्ट हुए तो कुछ मारे भी गए। इन लोगों का लिंक बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिद्दीन से भी मिला है। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि PFI के कुछ लोग कन्नूर से इस्लामिक स्टेट से जुड़े। हालांकि ये बात अभी तक साफ नहीं है कि पूरा संगठन ही इस्लामिक स्टेट से जुड़ा था या फिर कुछ लोगों ने इसे जॉइन कर वारदातें कीं।

सूत्रों का करहना है कि PFI के आतंकी उस समय संगठन से से किनारा कर गए जब सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) का 2009 में गठन हुआ। उन्हें लगता था कि इससे उन्हें अपने मंसूबों को सिरे चढ़ाने में कामयाबी नहीं मिलेगी। खुफिया एजेंसियों ने पहले भी इशारा किया था कि कन्नू माड्यूल सीरिया और इराक की जंग में खासा सक्रिय दिख रहा है।

ध्यान रहे कि केंद्र सरकार ने PFI को पांच साल के लिए बैन कर दिया है। हालांकि इससे पहले बड़े पैमाने पर इन लोगों के खिलाफ छापेमारी की गई। तकरीबन 250 को अरेस्ट भी किया गया। ये एक्शन इतनी तेजी से हुआ कि किसी को भनक तक नहीं लगी। संगठन के तमाम बड़े नाम पुलिस के हत्थे जा चढ़े।

पत्रकार सागरिका घोष का कहना है कि 8 साल से बीजेपी केंद्र की सत्ता में है लेकिन अभी तक PFI की तरफ सरकार ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन फिर से एक चुनावी सरगर्मी तेज होने लगी तो सरकार को इस संगठन की याद आ गई। उनका कहना है कि गुजरात और कर्नाटक चुनाव की वजह से ये बैन लगा है।