सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (14 फरवरी) को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी कर जानकारी मांगी है कि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को किन वजहों से नजरबंद रखा गया है। कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री की नजरबंदी के खिलाफ उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट की याचिका पर सुनवाई के लिए 2 मार्च की तारीख तय की है। कोर्ट ने कहा है कि 2 मार्च को इस मामले पर सुनवाई होगी तबतक प्रशासन नजरबंदी की वजहों के बारे में कोर्ट को जानकारी दे।
सारा की तरफ से पेश हुए सीनियर कांग्रेस नेता और जाने-माने वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस अरुण मिश्रा और इंदिरा बनर्जी की बेंच के सामने याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई के लिए अपनी दलीलें रखी। सिब्बल ने कहा कि यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका है ऐसे में इसपर जल्द सुनवाई की जरूरत है। कृप्या करके इसकी अगली सुनवाई अगले हफ्ते रख लीजिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष को सुनने के बाद सुनवाई के लिए 2 मार्च का दिन निर्धारित कर दिया।
वहीं सुनवाई के बाद मीडिया से बातचीत में सारा ने कहा ‘हमें उम्मीद है क्योंकि यह बंदी प्रत्यक्षीकरण का मामला है, जल्द ही उन्हें (उमर अब्दुल्ला) रिहाई मिलेगी। हमें न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है। हम चाहते हैं कि अन्य कश्मीरियों को भी वैसे ही अधिकार मिले जैसे भारत के अन्य नागरिकों को मिले हुए हैं।’
सारा अब्दुल्ला पायलट ने 10 फरवरी को शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) 1978 के तहत अपने भाई की हिरासत को ‘अवैध’ बताया और कहा था कि शांति व्यवस्था बहाल रखने को लेकर उनसे किसी खतरे का सवाल ही नहीं उठता। मालूम हो कि उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी की तय सीमा गुरुवार को समाप्त हो रही थी लेकिन इससे पहले ही प्रशासन ने पीएसए के तहत उनकी नजरबंदी को बड़ा दिया।