Shri Krishna Janmabhoomi Cases: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सवाल किया कि उसे कृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह भूमि विवाद से संबंधित लगभग 15 मुकदमों की एक साथ सुनवाई में उसे कुछ भी गलत नहीं लगता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे मथुरा की विभिन्न दीवानी अदालतों से अपने पास स्थानांतरित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि मुकदमों का एकीकरण पक्षों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे कई कार्यवाहियों से बचा जा सकेगा। पीठ ने मुस्लिम पक्ष की ओर से उपस्थित वकील से पूछा कि हमें मुकदमों के एकीकरण में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए? मुस्लिम पक्ष ने मथुरा ज़िला कोर्ट से सभी मामलों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने और उनकी एक साथ सुनवाई का विरोध किया है।

वकील ने कहा कि मुकदमों की प्रकृति समान नहीं है और यदि उन मुकदमों पर एक साथ विचार किया गया तो कठिनाइयां पैदा हो जाएंगी। हालांकि, पीठ ने महसूस किया कि इससे कोई दिक्कत पैदा नहीं होगी और यह पक्षों के हित में है।

पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि मुकदमों को एकीकृत कर दिया जाए तो इससे क्या फर्क पड़ता है। मामले की अगली सुनवाई 1 अप्रैल, 2025 तक के लिए स्थगित कर दी गई।

हाई कोर्ट ने 26 मई, 2023 को कृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह भूमि विवाद से संबंधित लगभग 18 मुकदमों को मथुरा की विभिन्न सिविल अदालतों से अपने यहां स्थानांतरित करके सुनवाई करने का निर्णय लिया था। 1 अगस्त 2024 को उच्च न्यायालय ने कहा कि कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित 15 मुकदमों में मुकदमा जारी रह सकता है, क्योंकि उसने मस्जिद प्रबंधन समिति की चुनौती को खारिज कर दिया था।

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16 जनवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था।

इन मामलों पर एक साथ हो सकती है सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट अप्रैल के पहले सप्ताह में मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सुनवाई करेगा। इस मामले में शाही ईदगाह कमेटी की तरफ से तीन याचिकाएं दी गई हैं। कोर्ट इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। मुस्लिम पक्ष की तरफ से दाखिल इन याचिकाओं में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें हिंदू पक्ष की ओर से दायर मुकदमे को सुनवाई लायक माना गया था।

मुस्लिम पक्ष की दूसरी याचिका में उस फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसमे मथुरा की निचली अदालत में चल रहे सभी मुकदमों को हाई कोर्ट द्वारा अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने का फैसला दिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के उस फैसले को भी चुनौती दी गई है, जिसमें इस विवाद से जुड़े सभी 1 मुकदमों को एक साथ जोड़ कर सुनवाई के फैसला लिया था।

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