Delhi CM Rekha Gupta: दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी सत्ता में लौटी है। भाजपा ने रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया है। लेकिन वो पूरी तरह से अधिकार संपन्न नहीं होंगी। उनके पास पांच वो खास पॉवर नहीं होंगी,जो दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास होती हैं।

ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि वो कौन सी पॉवर्स हैं, जो दिल्ली सरकार के पास नहीं होंगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कुछ ऐसी महत्वपूर्ण शक्तियां नहीं होतीं जो भारत के अन्य पूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास होती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है और यह देश की राजधानी भी है। इसलिए ये देश का सबसे खास क्षेत्र है, लिहाजा इसकी कई सारी शक्तियां केंद्र के पास हैं।

दिल्ली के पास आंशिक राज्य का दर्जा है। दिल्ली का प्रशासन संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत चलता है, जो दिल्ली को एक विधानसभा तो देता है, लेकिन कुछ शक्तियां केंद्र सरकार के पास रखता है।

आइए जानते हैं वो पांच प्रमुख पॉवर कौन सी हैं, जो दिल्ली के सीएम के पास नहीं होती हैं-

पुलिस पर नियंत्रण नहीं

दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आती है। कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण पर दिल्ली सरकार का कोई अधिकार नहीं है। अगर दिल्ली में कोई दंगा या कानून-व्यवस्था की समस्या होती है, तो मुख्यमंत्री पुलिस को सीधे आदेश नहीं दे सकते।

भूमि (Land) पर नियंत्रण नहीं

दिल्ली में जमीन से जुड़े सभी मामलों का प्रबंधन केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय करता है। दिल्ली सरकार रियल एस्टेट या सरकारी जमीन पर सीधे निर्णय नहीं ले सकती।

कानून-व्यवस्था पर अधिकार नहीं

दिल्ली राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। दिल्ली सरकार किसी भी प्रकार के सुरक्षा बलों को तैनात करने या हटाने का फैसला नहीं कर सकती।

म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (MCD) पर पूरा नियंत्रण नहीं

दिल्ली का नगर निगम (MCD) अलग इकाई के रूप में कार्य करता है और केंद्र सरकार के तहत आता है। दिल्ली सरकार का सीमित प्रभाव होता है नगर सेवाओं जैसे सफाई, सड़क मरम्मत आदि पर।

दिल्ली विधानसभा में पहली बार CM और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में होंगी महिलाएं, आतिशी चुनी गई नेता विपक्ष

हर काम में राज्यपाल (LG) की मंजूरी जरूरी

दिल्ली में उपराज्यपाल (LG) का रोल बहुत महत्वपूर्ण है। दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए कई कानूनों और नीतियों को लागू करने से पहले LG की मंजूरी जरूरी होती है। LG के पास कुछ मामलों में वीटो पावर भी होती है और वे निर्णय केंद्र सरकार को भेज सकते हैं। ऐसा दूसरे राज्यों में नहीं होता।

जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली के कई पूर्व मुख्यमंत्री लगातार ये मांग कर चुके हैं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, जिससे दिल्ली के चीफ मिनिस्टर्स के वास्तविक पॉवर्स आ पाएं। अरविंद केजरीवाल ये मांग करने में सबसे आगे रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रहे। अपने कार्यकाल में उन्होंने बार-बार ये मुद्दा उठाया कि जब दिल्ली सरकार जनता से टैक्स लेती है और चुनाव लड़ती है, तो पुलिस और जमीन जैसे अहम क्षेत्रों पर उसका नियंत्रण क्यों नहीं होना चाहिए। अधिकारों की लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट तक गए और कई बार उपराज्यपाल (LG) के साथ टकराव हुआ। चुनावों में भी “पूर्ण राज्य का दर्जा” एक अहम मुद्दा बनाते रहे। शीला दीक्षित और मदन लाल खुराना ने अभी अपनी तरह से मांग की थी।

यह भी पढ़ें-

दिल्ली में हर महीने पाने हैं 2500 रुपये, जान लीजिए उसके लिए जरूरी बातें; क्या-क्या दस्तावेज रखने हैं तैयार

टनल में फंसीं 8 जिंदगियां, मजदूरों की नहीं मिली अब तक लोकेशन… रेस्क्यू में आ रहीं कैसी बाधाएं?