Karnataka Politics: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अपने दो साल पूरे किए अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है। उससे पहले ही बेंगलुरू में आरसीबी के विजय जुलूस में भगदड़ से लेकर जाति सर्वे रद्द होने पर विवाद खड़ा हो गया है। इसके चलते सवाल उठने लगे हैं कि क्या सीएम सिद्धारमैया की अपनी सरकार पर पहले की तरह पकड़ मजबूत है या नहीं?

राजनीतिक स्थिति और विभिन्न घटनाक्रमों के विश्लेषण से पता चलता है कि सिद्धारमैया अभी भी एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बने हुए हैं, जिन्हें न तो उनकी पार्टी कांग्रेस और न ही विपक्ष नजरअंदाज कर सकता है। एक चतुर राजनीतिज्ञ और ओबीसी नेता सिद्धारमैया ने हाल की कुछ असफलताओं के दुष्परिणामों से खुद को बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं और संकेत मिलते हैं, कि वे फिलहाल सफल भी हो रहे हैं।

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रद्द हुआ जातिगत सर्वे

दरअसल, 12 जून को सिद्धारमैया मंत्रिमंडल ने जाति सर्वेक्षण को रद्द करने का फैसला किया, जो 2015 में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान राज्य में विभिन्न समुदायों, विशेष रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का आकलन करने के लिए किया गया था। इस साल 11 अप्रैल को कैबिनेट की बैठक में ही इस सर्वेक्षण से पर्दा उठा था। इसे सामाजिक न्याय दिलाने की चाबी के तौर पर देखा गया था, राज्य में कांग्रेस और सिद्धारमैया दोनों का मुख्य मुद्दा है।

हाईकमान के आदेश को दोहराया

12 जून को कैबिनेट का यह फैसला कांग्रेस हाईकमान द्वारा सिद्धारमैया सरकार को कई जाति समूहों की आपत्तियों के कारण जातियों की फिर से गणना करने के निर्देश के बाद आया था। 10 जून को दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं द्वारा बुलाई गई बैठक के बाद सिद्धारमैया ने कहा था कि हम वही करेंगे जो हाईकमान कहेगा। यह मेरा फैसला नहीं है। यह कैबिनेट का फैसला नहीं है। यह हमारी सरकार का फैसला नहीं है। यह हाईकमान का फैसला है। उन्होंने हमें फिर से गणना करने के लिए कहा है।

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किन बातोें को बताया जिम्मेदार?

मुख्यमंत्री ने जाति सर्वेक्षण को समाप्त करने के कैबिनेट के कदम के लिए कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1995 के प्रावधान को जिम्मेदार ठहराया। ये प्रत्येक 10 वर्ष के बाद पिछड़ी जातियों का नया सर्वेक्षण अनिवार्य करता है। हालांकि मुख्यमंत्री की मुख्य सामाजिक न्याय परियोजनाओं में से एक को रद्द करना एक झटका माना गया, लेकिन इसे उनके लिए एक “राहत” भी माना गया, क्योंकि सिद्धारमैया ने स्वयं अपने पहले कार्यकाल में जाति सर्वेक्षण को एक राजनीतिक मुद्दा माना था।

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि जनगणना के दायरे में जाति गणना को शामिल करने के केंद्र सरकार के हालिया फैसले ने सिद्धारमैया को 2015 के जाति सर्वेक्षण को खारिज करने से पहली राहत प्रदान की है। अधिकारी ने कहा कि इसने कांग्रेस को जाति सर्वेक्षण पर समय लेने का मौका दिया है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सिद्धारमैया सरकार को नए सिरे से जाति गणना कराने का निर्देश दिया गया है।

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आरसीबी भगदड़ कांड की वजह से हुई थी किरकिरी

सिद्धारमैया सरकार को 4 जून को एक और झटका लगा जब रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ( आरसीबी ) क्लब के प्रशंसकों द्वारा बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम में अपनी पहली आईपीएल खिताब जीत पर जश्न मनाने के दौरान भगदड़ में 11 लोग मारे गए। भगदड़ उस समय हुई जब सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार विधान सौधा, सरकारी मुख्यालय में आरसीबी के लिए एक सम्मान समारोह आयोजित कर रहे थे।

इसको लेकर आरोप लगाया गया है कि भगदड़ प्रशासनिक और व्यवस्थागत विफलताओं के कारण हुई जिसमें सरकार के शीर्ष स्तर के लोग भी शामिल थे। विवाद से निपटने के लिए सिद्धारमैया ने तत्कालीन बेंगलुरु पुलिस आयुक्त सहित पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया और घटना की दो अलग-अलग न्यायिक जांच के आदेश दिए।

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सिद्धारमैया ने लिया अधिकारियों पर एक्शन

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बी दयानंद को भगदड़ के मामले में निलंबित करने के फैसले से पुलिस का मनोबल गिरा लेकिन इसका मुख्यमंत्री या कांग्रेस पर कोई राजनीतिक असर नहीं पड़ा। दयानंद ने बेंगलुरू के एक सख्त पुलिस आयुक्त के रूप में दो साल तक अपना कार्यकाल बिना किसी दाग ​​के पूरा किया था। सिद्धारमैया ने पूछा कि मैंने पुलिस अधिकारियों द्वारा कर्तव्य में लापरवाही के प्रथम दृष्टया सबूतों के आधार पर कार्रवाई की है। बीजेपी और जेडीएस किस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं? वे न्यायिक जांच चाहते थे। हमने न्यायिक जांच गठित की है। जिन लोगों ने भी गलतियां की हैं, हमने उनके खिलाफ कार्रवाई की है। सरकार ने क्या गलती की है?

सिद्धारमैया ने यह भी कहा कि भगदड़ में हुई मौतों से कांग्रेस सरकार आहत है। उन्होंने कहा कि यह घटना नहीं होनी चाहिए थी। मेरे मुख्यमंत्री बनने के बाद ऐसी कोई घटना नहीं हुई। यह अधिकारियों की गलतियों के कारण हुआ है, यह प्रथम दृष्टया स्पष्ट है। हमने कार्रवाई की है। मैं इस घटना से आहत हूं। पूरी सरकार इस घटना से आहत है।

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