Bihar Assembly Elections: केंद्रीय मंत्री और लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने बिहार में एनडीए के भीतर असंतोष की अटकलों को खारिज कर दिया है। पिछले हफ्ते ही सीतामढ़ी में जानकी मंदिर का शिलान्यास समारोह हुआ था। इस कार्यक्रम में चिराग के न पहुंचने से सवाल खड़े होने लगे थे कि एनडीए खटपट है। कार्यक्रम में चिराग पासवान की गैरमौजूदगी को लेकर विपक्षी गठबंधन के सदस्य सवाल उठा रहे थे। विपक्ष ने कहा कि यह अनुपस्थिति गठबंधन में एक बड़ी दरार का संकेत है और पासवान को जानबूझकर दरकिनार किया जा रहा है।
विपक्षी दलों के दावे को चिराग पासवान ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, “मैं सीतामढ़ी में था लेकिन खराब मौसम के कारण कार्यक्रम पहले ही स्थगित कर दिया गया और पटना में मेरा पहले से कार्यक्रम तय था। बारिश में जलभराव और सड़क पर लगे जाम के कारण जब तक मैं सीतामढ़ी पहुचां, तब तक कार्यक्रम समाप्त हो चुका था। इसी वजह से मैं समय पर नहीं पहुंच सका था।”
कांग्रेस ने उठाया चिराग की दलित पहचान का मुद्दा
दूसरी ओर विपक्ष में बैठी कांग्रेस के प्रवक्ता ज्ञानरंजन गुप्ता ने आरोप लगाया कि पासवान को समारोह से बाहर रखने का कारण उनकी दलित पहचान थी। उन्होंने कहा कि राम मंदिर उद्घाटन के समय भी यही बात देखी गई थी, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित किया गया था। हालांकि चिराग पासवान ने कहा कि विपक्ष भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है। लोजपा (रामविलास) नेता ने कहा कि उनके अतीत के कारण ऐसी अटकलें बहुत आसानी से लगाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि 2020 में चिराग ने ऐसा किया था, इसलिए इस बार भी चिराग वही करने वाले हैं। बिल्कुल नहीं। इस बार चिराग ऐसा नहीं करने वाले हैं।
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2020 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो चिराग की पार्टी ने एनडीए से अलग होकर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था और 134 उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि उस दौरान उनकी पार्टी केवल एक ही सीट जीत पाई थी लेकिन कई निर्वाचन क्षेत्रों में जेडीयू की सीटों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की थी
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चिराग पासवान ने कहा कि विपक्ष में बैठी आरजेडी पिछले चुनाव में इसीलिए राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन पाई थी, क्योंकि वो एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़े थे। उन्होंने कहा, “अगर उस समय भी एनडीए आज की तरह एकजुट रहता ,तो वे कौन सी सीटें जीते?” चिराग ने कहा, “वे केवल वहीं सीटें जीते जहां चिराग पासवान अकेले चुनाव लड़ रहे थे।”
चिराग पासवान ने कहा कि वो बिहार सरकार की जो आलोचना कर रहे हैं, वह किसी विद्रोह से संबंधित नहीं है बल्कि बिहार की जनता के प्रति सच्ची चिंता से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग मेरे बयानों में विद्रोह देखते हैं, वह विद्रोह नहीं है। ये मेरी चिंताएं हैं। समय-समय पर, गठबंधन के भीतर, मैंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि बिहार की जनता की चिंताओं को उचित सम्मान मिले।”
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चिराग पासवान ने नीतीश के लिए भी बदला अपना रुख
कुछ हफ्ते पहले ही चिराग पासवान ने एनडीए के भीतर विशेषकर जेडी(यू) नेताओं के बीच यह कहकर खलबली मचा दी थी कि मुझे ऐसी सरकार का समर्थन करते हुए दुख हो रहा है जिसके शासन में अपराध पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर है। हालांकि, अपने हालिया बयान में चिराग पासवान ने तर्क दिया कि अपराध के बारे में उनकी चिंताओं ने धीरे-धीरे व्यवस्था को फिर से नियंत्रण में ला दिया है।
चिराग पासवान ने अपने रुख में भी बदलाव किया है। सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर उन्होंने कहा कि अपराधियों ने अचानक सिर उठाकर अराजकता फैलाने की कोशिश की, लेकिन धीरे-धीरे वह नियंत्रण में आ गया है। मुझे अपने मुख्यमंत्री पर हमेशा से भरोसा रहा है कि यह उनके नेतृत्व में ही संभव है। बिहार की जनता ने उन्हें यूं ही सुशासन बाबू नहीं कहा है लेकिन हां, विपक्ष अभी भी यही चाहता है कि किसी भी तरह एनडीए में दरार आ जाए।
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