मप्र और छत्तीसगढ़ के चुनाव में अभी तीन माह से ज्यादा का वक्त है। चुनाव आयोग ने भी इन दोनों सूबों के चुनावों को लेकर अभी तक कोई ऐलान नहीं किया है। लेकिन बीजेपी ने मप्र की 39 और छत्तीसगढ़ की 21 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। ये सारी वो सीट हैं जिनमें 2018 के चुनाव में बीजेपी को शिकस्त झेलनी पड़ी थी।

मप्र की जिन 39 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया उनमें से 21 रिजर्व हैं। इनमें 13 एसटी सीटें हैं जबकि 8 एससी। इस लिस्ट में पांच महिला उम्मीदवारों के नाम भी हैं। छत्तीसगढ़ की 21 में से 10 एसटी सीटें हैं जबकि 1 एससी है। यहां भी बीजेपी ने पांच महिला उम्मीदवारों के नाम का ऐलान काफी पहले कर दिया है। मप्र बीजेपी के सचिव रजनीश अग्रवाल जल्दी उम्मीदवारों के नामों के ऐलान के लिए तर्क देते हैं कि पिछले चुनाव में हम कुछ अहम सीटों में हार गए थे। जल्दी ऐलान से वर्कर्स को जुटाने में मदद मिलेगी तो टिकटों को लेकर इन सीटों पर होने वाली लड़ाई भी इससे शांत हो सकेगी।

मप्र में 1998 के बाद पहली बार कोई चुनाव हारी थी बीजेपी

मप्र में 2018 के चुनाव में मिली हार बीजेपी के लिए साधारण नहीं थी। पार्टी 1998 के बाद पहली बार य़हां कोई चुनाव हारी थी। हालांकि पिछले चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सका था। 230 की विधानसभा में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं। जबकि बीजेपी 109 सीटें जीतकर दूसरे पायदान पर थी। कांग्रेस ने सपा, बीएसपी और निर्दलियों को साथ लेकर कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बना ली थी। हालांकि ये सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बागी होने से कांग्रेस सरकार गिर गई।

शिवराज सिंह चौहान ने फिर से सूबे की बागडोर संभाली थी। हालांकि बीजेपी सत्ता पर काबिज है। लेकिन उसे पता है कि चुनाव को हल्के में लिया तो उसे 2018 की तरह से खामियाजा भी उठाना पड़ सकता है। खास बात है कि मप्र के 39 उम्मीदवारों में से 14 वो हैं जो पिछली बार चुनाव हार गए थे। 39 में से 23 वो हैं जो पिछले तीन असेंबली चुनावों में कम से कम एक बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं।

छत्तीसगढ़ में सूबे के गठन के बाद पहली बार बनी थी कांग्रेस सरकार

2018 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। 2000 में सूबे के गठन के बाद से ये पहली बार है जब बीजेपी चुनाव हार गई थी। कांग्रेस का वोट शेयर 43.9 था जबकि बीजेपी 33.6 फीसदी तक पहुंचने में थक गई। 2018 के पहले के तीन चुनाव देखे जाए तो बीजेपी का वोट शेयर कभी भी 49 फीसदी से कम नहीं रहा था। जिन 21 सीटों पर पहले उम्मीदवार घोषित किए गए हैं उनमें से 19 सीटें पिछले चुनाव में बीजेपी कांग्रेस से हार गई थी। जबकि दो अजित जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से हार गई थी।