Punjab Politics: पंजाब में भारतीय जनता पार्टी ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पैठ बनाने के लिए ‘भाजपा दे सेवादार, आ गए त्वाडे द्वार’ शुरू किया है। इस बीच पंजाब पुलिस ने डेटा उल्लंघन की चिंताओं का जिक्र करते हुए एक्शन लिया है। इसको लेकर सियासी चर्चाएं ये हैं कि आम आदमी पार्टी को आंतरिक स्तर पर ये फीडबैक मिला था कि बीजेपी ग्रामीण क्षेत्रों में पैठ बाने की कोशिश कर रही है, जो कि सकारात्मक भी हो रही है।
जानकारी के मुताबिक पंजाब पुलिस ने गुरुवार को राज्य के कई हिस्सों में बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है। इससे एक दिन पहले पुलिस ने राज्य में 39 स्थानों पर पार्टी आउटरीच शिविरों के कार्यक्रम में बाधाएं डाली थी। आम आदमी पार्टी के कई सूत्रों ने बताया कि यह कदम इस सूचना के बाद उठाया गया कि बीजेपी की केंद्र सरकार की विभिन्न डीबीटी योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंच रहा है।
आप नेताओं ने एक्शन पर क्या कहा?
आप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारे कार्यकर्ता हमें बता रहे थे कि बीजेपी पिछले दो महीनों से ये शिविर लगा रही है। हमने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अब हमें पता चला है कि वे केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा नहीं कर रहे हैं, बल्कि किसानों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। गांव के निवासी भी उनके शिविर में पहुंच रहे हैं।
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गांवों में जां रहे बीजेपी कार्यकर्ता
सूत्रों ने बताया कि 2020 के बाद से जिन गांवों में बीजेपी कार्यकर्ताओं को जाने की इजाजत नहीं थी। उन कार्यकर्ताओं ने भूमि अधिग्रहण की नीतियों के खिलाफ हो रहे विरोध के मुद्दे के जरिए गांवों में प्रवेश किया। आम आदमी पार्टी के नेता ने कहा कि पहले उन्होंने अनुसूचित जाति की आबादी को साधने की कोशिश की थी, और अब बीजेपी वाले गांवों में किसानों को टारगेट कर रहे हैं।
किसान संगठनों और विपक्षी दलों के लगातार विरोध के बाद आप सरकार ने इस महीने की शुरुआत में लैंड पूलिंग पॉलिसी-2025 को वापस ले लिया था। BJP, कांग्रेस और अकाली दल समेत सभी विपक्षी दलों ने इस नीति को वापस लेने का श्रेय लिया था। पंजाब आप प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि केंद्रीय योजनाओं को राज्य सरकार ही लागू करती है। कोई भी राज्य केंद्र के ऐसे किसी भी प्रयास को कभी नहीं रोकेगा। हालांकि, यहां एक राजनीतिक दल व्यक्तिगत डेटा एकत्र कर रहा है।
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आम आदमी पार्टी ने क्या लगाए आरोप
आप नेता ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि साइबर अपराधों के युग में इसकी अनुमति क्यों दी जानी चाहिए? लोग हमें बताते हैं कि उनके सेल फोन ले लिए जाते हैं, उनके सेल फोन पर ओटीपी प्राप्त किए जाते हैं और उनका उपयोग किया जाता है। हमें लोगों से ऐसी कई शिकायतें मिली हैं। किसी को भी ऐसा करने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए? सरकार के पास निवासियों की मदद के लिए सुविधा केंद्र हैं। वे अधिकृत हैं लेकिन भाजपा नहीं चाहती कि यह व्यवस्था काम करे।
आम आदमी पार्टी के नेता ने कहा कि वे चाहते हैं कि उनकी पार्टी के लोग जाकर लोगों से मिलें। वे लोगों से आधार विवरण मांग रहे हैं। इसकी अनुमति क्यों दी जानी चाहिए? उन्होंने पहले ऐसे शिविर क्यों नहीं लगाए? हरियाणा और अन्य भाजपा शासित राज्यों जैसे अन्य राज्यों में ऐसे शिविर क्यों नहीं लगाए जाते? एक भाजपा नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वे देश भर में ऐसे शिविर लगा रहे हैं। उन्होंने पूछा कि ये सिर्फ़ केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा हैं। साथ ही, इस प्रक्रिया में पार्टी अपने अगले नेतृत्व की तैयारी कर रही है। अगर युवा लोगों से मिलने नहीं जाएंगे, तो वे नेता कैसे बनेंगे?
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