भारत वीरों की धरती है। देश के हर हिस्से में अनेकों वीर महापुरुषों ने भारत मां के लिए अपने लहू बहाए। आज हम बात एक ऐसे महापुरुष की करने जा रहे हैं जिनका नाम सुनते ही चीन कांपने लगता था। ऐसे वीर महापुरुष का नाम जोरावर सिंह था जिनका जिक्र प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में भी किया है। जोरावर सिंह का नाम इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। आइए जानते हैं जोरावर की कहानी-
साल था 1834, जम्मू-कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह ने लद्दाख विजय के लिए अपनी सेना के बहादुर योद्धा जनरल जोरावर सिंह को भेजा। 5 हजार सैनिकों का नेतृत्व कर रहे जोरावर सिंह ने अप्रैल 1834 में लद्दाख अभियान शुरू किया। अपने युद्ध कौशल और रणनीति के दम पर ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र को अगले आठ साल के भीतर ही अपने अधीन कर लिया। इस हिस्से को उस समय तिब्बत ने कब्जा कर लिया था जिस पर जोरावर सिंह ने विजय प्राप्त किया और साथ ही गिलगित-बाल्टिस्तान और पश्चिमी तिब्बत पर भी अधिकार कर लिया।
मैदान छोड़कर भाग गया था तिब्बत
गिलगित बाल्टिस्तान में खुद की ताकत और बढ़ाने के लिए राजा गुलाब सिंह ने पश्चिमी तिब्बत के साथ लद्दाख में फिर में सेना बढ़ाई। 1841 में 5 हजार सैनिकों के साथ जोरावर सिंह ने तिब्बत के ऊंचे क्षेत्रों में एंट्री की और दुनिया का छत कहे जाने वाले हिमालय के अधिकांश इलाकों पर कब्जा कर लिया। जोरावर के नाम का डर इस कदर हो गया था कि तिब्बती कमांडर तकलाकोट मैदान छोड़कर भाग।
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जोरावर सिंह के भय का असर इस तरह तिब्बत पर हुआ कि उसने चीन से मदद मांगी। 1941 में चीन और तिब्बतियों की 10 हजार से ज्यादा सैनिकों ने जोरावर सिंह की सेना की ओर कूंच कर दिया। पहले तो जोरावर सिंह ने चीनी-तिब्बतियों पर खूब पहले किए लेकिन इस लड़ाई के अंत जाते-जाते ये उनकी आखिरी लड़ाई साबित हुई। जोरावर सिंह और उनके डोगरा सैनिकों को मौसम की परेशानियों का सामना करना पड़ा। तापमान माइनस 50 डिग्री से नीचे जा चुका था हालांकि फिर भी डोगरा सैनिकों ने खूब लड़ाई लड़ी। टो-यो की लड़ाई में घायल होने की वजह से जोरावर सिंह की मौत हो गई। लेकिन उनके डोगरा सैनिकों ने जोरदार जंग लड़ी और दुश्मन के जनरल को मौत के घाट उतार कर विजय प्राप्त किया।
प्रधानमंत्री मोदी आज जम्मू-कश्मीर के दौरे पर थे जहां उन्होंने चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का लोकार्पण किया। इसके साथ ही कटरा (जम्मू) से श्रीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री मोदी ने एक जनसभा को भी संबोधित किया। लोगों के संबोधन की शुरुआत पीएम ने वीर जोरावर सिंह को याद करते हुए किया। उन्होंने कहा, ‘ये वीर जोरावर सिंह की धरती है। मैं इस धरती को प्रणाम करता हूं।’