देशभर में लाउडस्पीकर को लेकर बहस छिड़ी हुई है। लाउडस्पीकर मुद्दा हर तरफ छाया हुआ है और टीवी चैनलों पर भी इसको लेकर बहस चल रही है। इसी क्रम में समाचार चैनल न्यूज़ 18 पर लाउडस्पीकर को लेकर बहस चल रही थी। लाउडस्पीकर ,अली, बजरंगबली से शुरू हुई यह बहस जामा मस्जिद तक जा पहुंची और एक व्यक्ति ने यह तक कह दिया कि जामा मस्जिद के बीच से सड़क तक निकाली गई है।
बहस के दौरान बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी इस देश में वक्फ बोर्ड के पास है। इसके जवाब में राजनीतिक विश्लेषक दानिश कुरैशी ने कहा कि, “मैं सुधांशु जी को जवाब देना चाहता हूं कि वक्फ बोर्ड किसके पास रजिस्टर्ड है और वक्फ बोर्ड की मिल्कियतों में क्या हुआ इसके बारे में आपको मालूम है? दिल्ली की जामा मस्जिद के बीच से सड़क निकाल दी गई है। इस देश में एक भी मंदिर बताइए जिसके बीच से सड़क निकाली गई हो?”
दानिश कुरैशी की बातों का जवाब देते हुए राजनीतिक विश्लेषक रिजवान अहमद ने कहा कि, “देश में 18 फीसदी की आबादी की तुलना में मुसलमान कितना टैक्स देते हैं इसकी तुलना करिए। वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी को मुसलमानों ने लूटा। मुसलमानों ने वक्फ बोर्ड के कब्रिस्तान बेंचे। अगर संविधान सेक्युलर है तो उसमे माइनोरिटी शब्द नहीं हो सकता है।”
बहस के दौरान बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि, “कांस्टीट्यूएंट असेंबली में इसीलिए सेकुलर शब्द नहीं जोड़ा गया था क्योंकि नेहरू जी ने कहा था कि माइनॉरिटी शब्द होना चाहिए। किसी भी सेकुलर देश में धार्मिक माइनॉरिटी नहीं होती बल्कि मजहबी देश में धार्मिक माइनॉरिटी होती है। भारत में यदि सरकार के बाद अगर किसी के पास सबसे अधिक जमीन है तो वह वक्फ बोर्ड के पास है, ना कि मंदिर और मठों के पास।”
बता दें की कुछ दिन पहले राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि सरकार मस्जिदों पर से लाउडस्पीकर को हटा ले। वरना एमएनएस के कार्यकर्ता मस्जिदों के सामने लाउडस्पीकर लगाकर तेज आवाज में हनुमान चालीसा बजाएंगे। राज ठाकरे के इस बयान पर खूब विवाद हुआ। वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि राज ठाकरे बीजेपी की लिखी हुई स्क्रिप्ट बोल रहे हैं।