पीएनबी घोटाले में हीरा कारोबारी नीरव मोदी के विदेश भागने के बाद एक और कारोबारी विक्रम कोठारी जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। विक्रम कोठारी कानपुर की कंपनी रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के एमडी हैं। यही कंपनी विवाद के केंद्र में है। आरोप है कि कंपनी के नाम पर विभिन्न बैंकों से लिया गया करीब 800 करोड़ रुपये का लोन चुकाया नहीं गया। हालांकि, सूद और बाकी बकाया जोड़कर यह रकम 3500 करोड़ रुपये से ज्यादा बैठती है। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर कोठारी के खिलाफ सोमवार को मामला दर्ज किया। ऐसे में सभी जानना चाहते हैं कि आखिर विक्रम कोठारी हैं कौन?
कोठारी एक बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। ये परिवार पांच दशक से ज्यादा वक्त से व्यापार जगत में सक्रिय है। परिवार ने 80 के दशक में रोटोमैक के नाम से स्टेशनरी का बिजनेस शुरू किया था। 90 के दशक में रोटोमैक कंपनी के पेन काफी मशहूर हुआ करते थे। ब्रांड का टैगलाइन था- लिखते लिखते लव हो जाए। सलमान खान, रवीना टंडन से लेकर जावेद अख्तर तक ने इस पेन का विज्ञापन किया था। रोटोमैक की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, विक्रम कोठारी रोटोमैक एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, कोठारी फूड्स ऐंड फ्रैगरेंस, क्राउन एल्बा राइटिंग इंस्ट्रूमेंट्स, मोहन स्टील लिमिटेड, आरएफएल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और रेव एंटरटेनमेंट लिमिटेड के मुखिया हैं। इसके अलावा, उनका कानपुर, लखनऊ, देहरादून और अहमदाबाद में रीयल एस्टेट का कारोबार फैला हुआ है। वेबसाइट के मुताबिक, ‘विक्रम कोठारी को तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से बेस्ट एक्सपोर्टर का अवॉर्ड मिला है।’
इस कारोबारी घराने के उत्थान पर नजदीक से नजर रखने वाले बताते हैं कि परिवार ने यह मिल्कियत एक दिन में नहीं हासिल की। कहते हैं कि कभी विक्रम के पिता मनसुख 50 के दशक में कानपुर में साइकिल चलाकर पान मसाला बेचा करते थे। बाद में पान बहार ब्रांड के टक्कर में ‘पान पराग’ का उदय हुआ। यह इतना मशहूर हुआ कि लोग पान मसाले को पान पराग के नाम से जानने लगे। पान पराग विदेश में भी निर्यात होने लगा। एक वक्त था, जब पान पराग टीवी पर सबसे ज्यादा विज्ञापन देने वाली कंपनी थी। ‘बारातियों का स्वागत पान पराग से’ वाला टीवी विज्ञापन कौन भूल सकता है? इसमें अशोक कुमार और शम्मी कपूर जैसे बड़े कलाकारों ने काम किया था। इस बिजनेस में कमाए मुनाफे से कंपनी ने रोटोमैक पेन और मिनरल वॉटर ब्रांड ‘यस’ लॉन्च किया। यह वो वक्त था, जब कम्प्यूटर और लैपटॉप चलन में नहीं थे, इसलिए कलम और डायरियों का कारोबार तेजी से बढ़ा। बाजार ने रोटोमैक और रेनल्ड्स 045 पेन कंपनियों के बीच तगड़ा मुकाबला देखा।
विक्रम के बड़े भाई दीपक कोठारी अब पान पराग के मालिक हैं। पिता मनसुख कोठारी की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों ने मिलकर कारोबार संभाला था। हालांकि, 90 के दशक के आखिर में दोनों भाइयों के बीच फैमिली बिजनेस का बंटवारा हुआ। इसमें विक्रम को रोटोमैक का मालिकाना हक मिला। वहीं, पान पराग दीपक कोठारी के हिस्से गया। कहा जाता है कि विक्रम को पान पराग के बिजनेस से हटने के लिए काफी मोटी रकम मिली थी। यह भी कहा जाता है कि बिजनेस अलग होने के बाद से विक्रम कोठारी ने रोटोमैक के कारोबार पर ध्यान देना कम कर दिया। इसके बाद धीरे-धीरे हालात बदले और विक्रम कोठारी पर काफी कर्ज बकाया हो गया।