Selection Process For Next Chief Election Commissioner: अभी तक चली आ रही परंपराओं के हिसाब से मुख्य चुनाव आयुक्त का उत्तराधिकारी अगला सबसे वरिष्ठ इलेक्शन कमिश्नर होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023 के अनुसार पहली बार इसका दायरा और बढ़ाया जा सकता है। सीईसी राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। इलेक्शन कमीशन में मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू चुनाव आयुक्त हैं।

ज्ञानेश कुमार अभी भी दौड़ में हो सकते हैं, लेकिन अधिनियम की धारा 6 और 7 के मुताबिक, विधि मंत्रालय चयन समिति के लिए पांच नामों का एक पैनल तैयार करने के लिए विधि मंत्री की अध्यक्षता में एक सर्च कमेटी गठित करेगा। सेलेक्शन कमिटी में पीएम, एक कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। वह इस पैनल में से चयन कर सकते हैं या फिर वह किसी दूसरे व्यक्ति पर भी विचार कर सकते हैं।

ज्ञानेश कुमार सीईसी के पद के लिए संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट में सबसे पहले हैं, लेकिन फिर भी अधिनियम सेलेक्शन कमेटी को चुनाव आयोग के बाहर से भी नामों पर विचार करने का ऑप्शन देता है। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब चुनाव आयोग को विपक्षी दलों की ओर से कई मुद्दों पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसमें वोटर लिस्ट से लेकर ईवीएम तक शामिल है। मंगलवार को राजीव कुमार ने विपक्ष के इन सभी दावों का सिरे से खंडन कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने इसे पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना बताया।

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पैनल पर शुरू होगी प्रक्रिया

पैनल के बारे में पूछे जाने पर मिनिस्ट्री ऑफ लॉ के एक अधिकारी ने कहा कि प्रक्रिया अभी शुरू होनी है। इलेक्शन कमीशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस बदलाव का मतलब है कि बाहरी लोगों को आयोग का नेतृत्व करने का मौका मिल सकता है।’ इस बदलाव पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा, ‘इससे चुनाव के बाद सरकार बदलने पर पिछली सरकार के फैसले को सही करने का विकल्प खुल जाता है। इससे आयोग की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ सकता है।’

सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद लाया गया अधिनियम

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023 की धारा 5 के अनुसार, इस पद के लिए उम्मीदवार वर्तमान या पूर्व सचिव स्तर के अधिकारी होंगे। यह अधिनियम सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद में लाया गया है। इसमें 2015 से 2022 के बीच चुनाव आयुक्तों को चुनने में केंद्र की खास शक्तियों को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दायर की गई थीं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनाया गया कानून

कोर्ट ने कहा था कि संविधान निर्माताओं का कभी भी यह इरादा नहीं था कि कार्यपालिका को खास नियुक्ति की पावर दी जाएं। मार्च 2023 में कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की एक समिति की सलाह पर की जाएगी। यह व्यवस्था तब तक लागू रहेगी जब तक संसद नियुक्तियों के लिए कानून नहीं बना देती।

केंद्र सरकार ने आखिरकार दिसंबर 2023 में एक कानून बनाया। इसके तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति शॉर्टलिस्ट पैनल और चयन समिति के जरिये करना लाजमी बना दिया। हालांकि, सीजेआई को चयन समिति के सदस्य के तौर पर हटा दिया गया। इस नए प्रावधान के अनुसार दो चुनाव आयुक्तों कुमार और संधू की नियुक्ति की गई है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं, विशेषकर मुख्य न्यायाधीश को इससे बाहर रखने के मामले पर फरवरी में विचार करेगा। CEC राजीव कुमार बोले- रिटायरमेंट के बाद हिमालय में करूंगा मेडिटेशन पढ़ें पूरी खबर