निखिला हेनरी
आंध्र प्रदेश में टीडीपी की सरकार बन गई है। चंद्र बाबू नायडू ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की कमान ली है। टीडीपी सरकार में नारा लोकेश भी शामिल हैं, उन्होंने राज्य के कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। 2019 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी (YSRCP) से मंगलगिरी निर्वाचन क्षेत्र से हारने वाले नारा लोकेश ने इस बार उसी सीट पर 91,000 से अधिक मतों से जीत हासिल करके न केवल अपनी स्थिति में बदलाव किया है, बल्कि राज्य में अपनी पार्टी की आवाज के रूप में भी उभरे हैं।
राज्य में गठबंधन सरकार की दिशा तय करने में जुटे हैं लोकेश
आंध्र प्रदेश में एक साथ हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में नारा लोकेश के पिता एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी ने भारी जीत हासिल की और राज्य में फिर से सत्ता में वापसी की। बीजेपी और पवन कल्याण के नेतृत्व वाली जनसेना पार्टी (JSP) के साथ गठबंधन में इन चुनावों में लड़ते हुए, टीडीपी ने 16 लोकसभा सीटें भी जीतीं और सत्तारूढ़ बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के दूसरे सबसे बड़े घटक के रूप में उभरी। नायडू के राष्ट्रीय मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरने और आंध्र प्रदेश में टीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार की कमान संभालने के साथ ही 41 वर्षीय लोकेश से राज्य में गठबंधन सरकार की दिशा तय करने की उम्मीद है।
लचीला स्वभाव और सीखने की क्षमता से पार्टी में लोकप्रिय हैं लोकेश
लोकेश ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हम एक ऐसी सरकार चलाने की उम्मीद कर रहे हैं जो विनम्रता के साथ काम कर सके और अपने वादों को पूरा कर सके। पार्टी अपने कल्याणकारी एजेंडे की पुष्टि करेगी और अगले पांच वर्षों में 20 लाख नौकरियां पैदा करेगी।” उनके करीबी सहयोगी लोकेश की वापसी का श्रेय उनके लचीलेपन और सबसे खराब परिस्थितियों से सीखने की उनकी क्षमता को देते हैं। लोकेश ने कहा, “मेरी पदयात्रा ने मुझे एक व्यक्ति के रूप में मौलिक रूप से बदल दिया और मुझे विनम्र और जमीन से जुड़ा हुआ बना दिया, और लोगों की मदद करने के लिए उत्सुक बना दिया।”
उनके सहयोगियों का कहना है कि लोकेश ने अपनी 3,000 किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा “युवा गलाम (Yuva Galam)” को “सीखने और स्टैनफोर्ड में बिताए पल” के रूप में याद करते हैं। उन्होंने यह यात्रा पिछले साल जनवरी-दिसंबर के दौरान कुप्पम से श्रीकाकुलम (Kuppam to Srikakulam) तक निकाली थी। टीडीपी महासचिव लोकेश स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए हैं। टीडीपी के फिर से सत्ता में लाने में उनकी यात्रा ने बड़ी भूमिका निभाई है।
पिता की गिरफ्तारी के वक्त पार्टी को एकजुट बनाए रखने में जुटे रहे
आंध्र प्रदेश में पूर्व एमएलसी और मंत्री लोकेश की मेहनत और ईमानदारी का नतीजा पिछले साल सितंबर में तब सामने आया, जब नायडू को कथित आंध्र प्रदेश कौशल विकास निगम घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। यह लोकेश ही थे जिन्होंने उस समय इस मौके पर पार्टी को एकजुट रखा। टीडीपी नेताओं को संदेह था कि नायडू जेल से बाहर निकलकर चुनाव प्रचार कर पाएंगे।
टीडीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “लोकेश ने अपने पिता की रिहाई के लिए आंध्र से लेकर दिल्ली तक सभी दरवाजे खटखटाए। वह कठिन समय था, लेकिन उन्होंने पार्टी को एकजुट रखा।”
लोकेश नियमित रूप से जेल में अपने पिता से मिलने जाते थे और इस बात के लिए उनका “मार्गदर्शन” लेते थे कि टीडीपी का अभियान पटरी से न उतरे। लोकेश ने कहा, “उन्होंने (नायडू) अपने खिलाफ दर्ज मामले से संबंधित कागजात के हर शब्द को पढ़ा और रिपोर्ट पढ़ते हुए पार्टी की अगली कार्रवाई के बारे में लगातार इनपुट और मार्गदर्शन दिया।”
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि टीडीपी नेताओं ने लोकेश को एक दृढ़ नेता के रूप में देखना शुरू कर दिया, जब उन्होंने विजयवाड़ा में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और उसके बाद टीडीपी प्रमुख की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। दिल्ली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ, टीडीपी ने लोकेश को राज्य में कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाएं सौंपने का फैसला किया है, क्योंकि उन्हें पार्टी का एक “सुलभ” चेहरा माना जाता है, जो आम लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध हैं।
सूत्रों ने कहा कि पिछले पांच सालों से टीडीपी राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य से दूर थी, लेकिन लोकेश राज्य में लोगों का विश्वास जीतने में कामयाब रहे हैं। सिंगापुर के पूर्व पीएम ली कुआन यू, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और नायडू को अपनी “राजनीतिक प्रेरणा” बताने वाले लोकेश को गठबंधन सहयोगियों के साथ महत्वपूर्ण मामलों को संभालने का भी काम सौंपा गया है। उदाहरण के लिए टीडीपी को व्यापक रूप से एक दक्षिणी पार्टी माना जाता है और वह जनसंख्या के आधार पर 2026 के लिए निर्धारित लोकसभा सीटों के परिसीमन का समर्थन नहीं करती है।
लोकेश ने कहा, “टीडीपी यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगी कि ऐसे सभी विवादास्पद मुद्दों पर एकतरफा (बीजेपी द्वारा) निर्णय न लिया जाए। हम सभी राज्यों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होने के साथ-साथ उन पर चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने कहा कि टीडीपी एनडीए के “एक राष्ट्र, एक चुनाव” प्रस्ताव के पक्ष में है।
उनके कुछ करीबी नेताओं का दावा है कि पार्टी की भारी जीत के बाद छोटे पैमाने पर जश्न मनाने से लोकेश एक अनुभवी राजनेता के रूप में उभरे हैं। टीडीपी ने 175 सदस्यीय विधानसभा में अपने दम पर 135 सीटें जीतीं, जिससे वाईएसआरसीपी 11 विधानसभा और चार लोकसभा सीटों पर सिमट गई। उनके एक सहयोगी ने कहा, “लोकेश ने अपने और अपने पिता के जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन वे शांत और संयमित बने हुए हैं।” लोकेश को अब राज्य के लोगों के भरोसे को बनाए रखने की परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है।