Who Is Sarada Muraleedharan: सोशल मीडिया पर एक नाम काफी चल रहा है- शारदा मुरलीधरन। शारद वर्तमान में केरल की मुख्य सचिव हैं, कई महीनों से वे इस पद पर कार्यरत हैं। लेकिन अब फेसबुक पर उन्होंने एक पोस्ट के जरिए अपना दर्द बयां किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे अपनी त्वचा के रंग की वजह से उन्हें उनके पति और पूर्व सचिव से लगातार कंपेयर किया गया। बड़ी बात यह रही कि जिस पोस्ट को उन्होंने पहले शेयर किया था, थोड़ी ट्रोलिंग के बाद उसे डिलीट भी खुद किया।
कौन हैं शारदा मुरलीधरन?
लेकिन बाद में जब कुछ लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया, शारदा ने सामने अपने दर्द को स्पष्ट शब्दों में साझा किया। असल में शारदा मुरलीधरन 1990 बैच की आईएएस अधिकारी हैं, वे वर्तमान में केरल की मुख्य सचिव हैं। उनके करियर की हाइलाइट ही यह रही कि उन्होंने वो पद संभाल है जो उनसे पहले उनके पति संभाल रहे थे। देश में यह ऐसा पहला उदाहरण रहा है जहां पर पति के पद छोड़ने के बाद पत्नी ने ही उस जिम्मेदारी को संभाला हो।
असल में शारदा मुरलीधरण को मूल रूप से एमपी कैडर मिला था, यानी कि उन्हें अपनी सेवाएं उस राज्य में करनी थीं। लेकिन 1990 में जब उनकी शादी आईएएस अधिकारी वी वेणु से हुई तो उन्होंने अपना कैडर मध्य प्रदेश से बदलवाकर केरल करवा लिया। अब केरल की मुख्य सचिव बनने से पहले भी शारदा ने कई पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं, उनका प्रशासनिक अनुभव काफी लंबा है। उन्होंने केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर का काम भी देख रखा है। इसके अलावा निफ्ट में भी महानिदेशक के पद पर रहते हुए उन्होंने बड़े फैसले लिए हैं।
त्वचा को लेकर कैसा विवाद, क्या है शारदा का पोस्ट?
अब शारदा सिन्हा इस समय चर्चा में दूसरे कारणों से हैं। उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा है कि उन्हें उनकी त्वचा के रंग के लिए ताने सुनने पड़े हैं। अपने चीफ सेकरेट्री के कार्यकाल को लेकर मैंने एक इंट्रेस्टिंग कमेंट पढ़ा था, किसी ने कहा कि मेरा कार्यकाल उतना काला है जितना मेरे पति गोरे हैं। अब मैंने ये पोस्ट वैसे तो सुबह की थी, लेकिन बाद में उसे डिलीट कर दिया, कई सारे कमेंट आए थे, बस उन्हें देख मन किया कि हटा दूं। लेकिन फिर मैंने इस पोस्ट को दोबारा शेयर किया क्योंकि कुछ शुभचिंतकों ने कहा कि इस मुद्दे पर बात होना जरूरी है। मुझे भी यह सही लगा, तो सबकुछ बताने जा रही हूं।
शारदा ने बताई काले रंग की नई परिभाषा
शारदा ने आगे लिखा कि पिछले सात महीनों में लगातार मुझे मेरे पूर्व अधिकारी से कंपेयर किया गया है। मुझे ‘काले’ होने का तमगा दिया गया है, इस तरीके से दिखाया गया है कि मुझे शर्मिंदा होना चाहिए। लेकिन काला तो काला ही रहता है, बात सिर्फ एक रंग नहीं है। अपनी पोस्ट में शारदा ने जोर देकर कहा है कि ब्लैक तो सबकुछ सोक सकता है, मानव इतिहास का सबसे ताकतवर अहसास है यह रंग, यह एक ऐसा रंग है जो सभी पर जचता है, कई ऑफिस का ड्रेस कोड होता है, काजल का आधार होता है, बारिश का वादा होता है।
अब शारदा की इस एक पोस्ट के बाद रंग को लेकर विवाद बहस छिड़ चुकी है। सवाल पूछे जा रहे हैं- आखिर कब तक लोगों को रंगभेदी टिप्पणियों का सामना करना पड़ेगा? वैसे अमेरिका में भी इसी रंगभेद का संघर्ष कई साल पुराना है, उस बारे में और जानकारी के लिए जनसत्ता की इस खबर का रुख करें