हिंडनबर्ग,अडाणी ,खुलासा, शेयर मार्केट, जॉर्ज सोरोस, यह नाम और शब्द 2023 के बाद एक बार फिर चर्चा में आए हैं। इस बार SEBI का नाम जुड़ गया है। वजह अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च का हालिया खुलासा है। जिसमें दावा किया गया है कि SEBI चेयरमैन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच का उन ऑफ़शोर कंपनियों में हिस्सा रहा है जो अडाणी ग्रुप की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई रही हैं।
कांग्रेस लगातार इस मामले पर सवाल उठा रही है और जांच की मांग कर रही है। लेकिन इस बीच बीजेपी ने एक बार फिर जॉर्ज सोरोस का ज़िक्र किया है। इस नाम की चर्चा 2023 में भी हुई थी। क्यों बार-बार जॉर्ज सोरोस पर बात होती है और यह हैं कौन? आइए जानते हैं।
जॉर्ज सोरोस : कौन है यह चर्चित शख्स?
बीजेपी के सांसद रविशंकर प्रसाद हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दे रहे तभी उन्होंने जॉर्ज सोरोस का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जॉर्ज सोरोस भारत के जाने-माने आलोचक हैं और वही हिंडनबर्ग में एक बड़े निवेशक भी हैं। सीधे तौर पर बीजेपी सांसद इस पूरे मामले को एक साजिश करार दे रहे थे। उन्होंने इसे कांग्रेस से भी जोड़ा।
ऐसा पहली बार नहीं है जब भाजपा ने जॉर्ज सोरोस को कांग्रेस से जोड़ने की कोशिश की है। पिछले साल जून में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर सोरोस से संबंध होने का आरोप लगाया था।
जॉर्ज सोरोस एक प्रमुख Hungarian-American बिजनेसमैन और इन्वेस्टर हैं। उनकी कुल संपत्ति 6.7 बिलियन डॉलर है और उन्होंने ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन को 32 बिलियन डॉलर से अधिक का योगदान दिया है। फोर्ब्स ने उन्हें उनकी कुल संपत्ति के प्रतिशत के आधार पर सबसे ‘उदार डोनेटर’ की मान्यता दी है।
वह एक यहूदी परिवार में जन्मे थे और हंगरी के नाजी कब्जे से बच निकले और 1947 में ब्रिटेन चले गए। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अपनी पढ़ाई जारी रखी, जहां उन्होंने 1951 में फिलोसोफी की पढ़ाई की।
लिबरल और प्रोग्रेसिव विचार
जॉर्ज सोरोस को उनके लिबरल और प्रोग्रेसिव विचार के लिए जाना जाता है। 1979 और 2011 के बीच उन्होंने 11 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का योगदान ऐसे लोगों के लिए किया है जो गरीब और बीमार हैं। 2017 तक उनका कुल डोनेशन जो गरीबी से लड़ाई,दुनियाभर में छात्रवृत्तियों से जुड़ी योजनाओं और विश्वविद्यालयों को गया वह 12 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी बयान दे चुके हैं। फरवरी 2023 में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में बोलते हुए जॉर्ज सोरोस ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयर बेचने के बारे में भी बात की थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि वे लोकतंत्रवादी नहीं हैं।