ज्ञानवापी मामले पर डिबेट के दौरान एंकर रूबिका लियाकत ने AIMIM के दिल्ली अध्यक्ष को जमकर फटकार लगा दी। उन्होंने यहां तक कहा कि आप होते कौन हैं मेरे इस्लाम पर सवाल उठाने वाले। आप लोग राजनीति के लिए इस्लाम का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके तेवर इतने तीखे थे कि ओवैसी के नेता को कई बार चुप्पी साधनी पड़ी। लेकिन कई मौकों पर दोनों के बीच तीखी तकरार भी हुई।

दरअसल दिल्ली AIMIM के अध्यक्ष कलीमुल हफीज ने ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देकर टिप्पणी की। रूबिका भड़क गईं और उन्हें नसीहत देकर कहा कि आप जो बोल रहे हो वो मैं नहीं सुनने वाली। मेरे ऊपर पर्सनल अटैक मत करिए। मेरे अल्लाह को बदनाम मत करें। उनका कलीमुल से सवाल था कि आप मेरे बारे में क्या जानते हैं। उनका सवाल था कि सुप्रीम कोर्ट का ज्ञानवापी का फैसला मुसलमानों के खिलाफ कैसे हो गया। ये बात समझ से परे है।

कलीमुल ने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ एक साजिश की जा रही है और रूबिका इसका समर्थन करती रहती हैं। दोनों के बीच जब तीखी तकरार हुई तो कलीमुल ने यहां तक कहा कि आपको पूरा देश देख रहा है। हालांकि कई मौकों पर कलीमुल चुप भी हुए लेकिन प्रोग्राम के आखिर में उनकी एंकर से फिर से भिड़ंत हो गई। रूबिका उन्हें फटकार लगाती रहीं।

उनका कहना था कि हर जगह धार्मिक विभेद की बात चल रही है। देश में एक अलग तरह का माहौल बन गया है। कहीं भी रोजगार और विकास की बात नहीं हो रही। सरकार के इशारे पर कुछ नेता कहीं पर शिव तो कहीं हनुमान जी को आगे करके राजनीति कर रहे हैं। कहीं पर बेवजह मस्जिदों का सर्वे कराकर सनसनी फैलाने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना था कि कोर्ट मुसलमानों के हक में नहीं दिख रहीं।

कलीमुल का कहना था कि मुस्लिम पक्ष ने 1937 के दीन मोहम्मद बनाम राज्य सचिव के मुकदमे का फैसला अदालत में पढ़ा। तब अदालत ने मौखिक गवाही और दस्तावेजों के आधार पर फैसला किया था कि यह पूरा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर मुस्लिम वक्फ का है और मुसलमानों को इसमें नमाज अदा करने का अधिकार है। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि मां शृंगार गौरी का मुकदमा प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 का सरासर उल्लंघन है। ओवैसी के नेता का कहना था कि कोर्ट नियमों को दरकिनार कर सर्वे का आदेश दे रही है।