Arvind Kejriwal Bail: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी। कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें जमानत मिली है। सीएम को ईडी मामले में पहले ही जमानत मिल गई थी। अब उनके जेल से बाहर आने का रास्ता बिल्कुल साफ हो गया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के जमानत बांड पर राहत दी है। आइए जानतें हैं उन दोनों जजों के बारे में जिन्होंने आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दी।

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत

अब जस्टिस सूर्यकांत की बात करें तो 24 मई, 2019 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। इससे पहले वह हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्याधीश के तौर पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं। इतना ही नहीं वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज भी रह चुके हैं। जस्टिस सूर्यकांत अक्टूबर, 2018 में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्याधीश बने थे। उन्होंने इस पद पर 5 अक्टूबर 2018 से 23 मई 2019 तक अपनी सेवाएं दीं।

जस्टिस सूर्यकांत 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में जन्मे थे। उन्होंने रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने हिसार के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस शुरू की थी। 1985 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए चंडीगढ़ आए। 7 जुलाई 2000 को वे हरियाणा के एडवोकेट जनरल नियुक्त होने वाले सबसे कम उम्र के वकील बने। इसके बाद साल 2001 में उन्हें वरिष्ठ सीनियर एडवोकेट बनाया गया था।

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कौन हैं जस्टिस उज्जल भुइयां

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्जल भुइंया 2 अगस्त 1964 को गुवाहाटी में जन्मे थे। अब उनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई डॉन बॉस्को हाईस्कूल से की। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज में चले गए। फिर डीयू के किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली। गुवाहाटी के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी और गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से एलएलएम की डिग्री ली थी।

जस्टिस भुइंया ने 30 मार्च 1991 को बतौर एडवोकेट एनरोलमेंट कराया और प्रैक्टिस शुरू की। लंबे टाइम तक गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपने पिता सुचेंद्रनाथ भुइंया के साथ में वकालत करते रहे थे। उनके पिता भी सीनियर एडवोकेट के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। जस्टिस भुइंया जज बनने से पहले करीब 16 साल तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के स्टैंडिंग काउंसिल रहे। साल 1995 में बतौर जूनियर स्टैंडिंग काउंसिल शुरुआत की थी और बाद में प्रमोट हो गए थे।

जस्टिस भुइंया 17 अक्टूबर 2011 को गुवाहाटी हाई कोर्ट में एडिशनल जज के तौर पर नियुक्त हुए और साल 2013 में उन्हें परमानेंट जज बना दिया गया था। इसके बाद अक्टूबर 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट में नियुक्त हुए और करीब दो साल तक वहां पर सेवा देने के बाद में तेलंगाना हाईकोर्ट में पहुंचे। इसके बाद यहीं पर साल 2022 में मुख्य न्यायधीश बने।

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अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए दोनों जजों ने क्या कहा?

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानून के मुताबिक हुई थी और इसमें किसी तरह के नियम का कोई भी उल्लंघन नहीं हुआ है। साथ ही कांत ने यह भी कहा कि इस तर्क में कोई दम नहीं है कि सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार करते समय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के निर्देशों का पालन नहीं किया।

दोनों जज केजरीवाल को जमानत देने के फैसले पर एकमत थे, क्योंकि इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की संभावना नहीं है। जस्टिस भुइंया की राय सूर्यकांत से अलग थी। जस्टिस भुइंया ने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को दी गई जमानत को विफल करने के लिए की गई थी।