सिंधु घाटी सभ्यता की खोज में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले मशहूर पुरातत्वविद् जॉन मार्शल की तमिलनाडु में प्रतिमा बनने जा रही है। इस बात का ऐलान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सिंधु घाटी सभ्यता की खोज के 100 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में किया है। आज ही के दिन यानी 20 सितंबर 1924 को जॉन मार्शल ने सिंधु घाटी सभ्यता की घोषणा की थी। जो भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास बन गया।
स्टालिन ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा, ‘आज से ठीक 100 साल पहले, 20 सितंबर 1924 को सर जॉन मार्शल ने भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास को नया आकार देते हुए सिंधु घाटी सभ्यता की खोज की घोषणा की थी। मैं कृतज्ञता के साथ पीछे मुड़कर देखता हूं और कहता हूं, ‘धन्यवाद, जॉन मार्शल।’ ‘जॉन मार्शल ने IVC की भौतिक संस्कृति की सही संज्ञान लेकर द्रविड़ियन संस्कृति से जोड़ा।’
आदमकद प्रतिमा होगी स्थापित
इसके साथ ही स्टालिन ने लिखा कि उनकी सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि इस ऐतिहासिक खोज की शताब्दी पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और तमिलनाडु में सर जॉन मार्शल की आदमकद प्रतिमा (पूरे शरीर की प्रतिमा) लगाई जाएगी।
कौन थे जॉन मार्शल
सर जॉन मार्शल दुनिया के मशहूर पुरातत्वविद् थे। उन्होंने प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता की खोज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ये भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 1902 से 1928 तक महानिदेशक भी रहे। मार्शल के आदेश के बाद ही भारतीय पुरातत्वविद दया राम साहनी के नेतृत्व में ही दो प्रमुख शहर ‘हड़प्पा’ और ‘मोहनजोदड़ो की खोज की गई। मार्शल ने सिंधु घाटी सभ्यता के अलावा और भी कई जगहों पर खुदाई कराई जिसमें कई महत्वपूर्ण स्थलों की जानकारी मिली।
साल 1913 में जॉन मार्शल ने तक्षशिला में खुदाई शुरू कराई। ये खुदाई करीब 21 साल तक चली। साल 1918 में उन्होंने तक्षशिला संग्रहालय की आधारशिला रखी। इस प्रोजेक्ट के बाद मार्शल सांची और सारनाथ में बने बौद्ध स्थलों के जांच पर काम किया। मार्शल मूलत: एक अंग्रेज थे हालांकि वो भारतीय लोगों और नेताओं द्वारा आजादी के लिए किए जा रहे प्रदर्शन से भी सहमत थे। वो ऐसे अंग्रेज अधिकारी थे जो भारत के लिए स्वतंत्रता चाहते थे। भारत में किए गए उल्लेखनीय काम के लिए मार्शल को बहुत प्रसिद्धि और प्रशंसा मिली।