राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई सोमवार को संपन्न हो गए थे। आज वोटों की गिनती जारी है। पहले चरण में जिसमें सांसदों के वोटों की गिनती होनी थी उसमें द्रौपदी मुर्मू ने यशवंत सिन्हा को दोगुने से भी ज्यादा के अंतर से पीछे छोड़ दिया है। पहले चरण की गिनती में द्रौपदी मुर्मू को कुल 540 वोट मिले हैं। जिनकी वैल्यू 3,78,00 है। वहीं विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 208 वोट मिले हैं जिनकी वैल्यू 1,45,000 है। 15 वोट अमान्य पाए गए थे। संसद के दोनों सदनों को मिलाकर कुल 780 सांसदों के वोट हैं जिनमें से 13 सांसदों ने वोटिंग नहीं की थी। कुल मिलाकर 4796 सदस्यों में से 4754 सदस्यों ने वोटिंग की थी। इस तरह से पहले चरण में यशवंत द्रौपदी मुर्मू से बहुत पीछे रह गए हैं।

दूसरे चरण के वोटों की गिनती भी शुरू हो गई है और इसमें 10 राज्यों के विधायकों के वोटों की गिनती की जा रही है। इस चरण में भी मुर्मू यशवंत से बढ़त बनाए हुए हैं। आपको बता दें कि इसके पहले सोमवार को राष्ट्रपति के चुनाव में कई राजनीतिक दलों के विधायकों ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ क्रॉस वोटिंग की थी। ऐसा नहीं है कि इस बार के राष्ट्रपति के चुनाव में ही क्रॉस वोटिंग हुई हो इसके पहले भी राष्ट्रपति चुनावों में क्रॉस वोटिंग होती रही है। इसके पीछे सबके अपने-अपने तर्क हैं। वहीं अभी तक की गिनती में उन सभी नेताओं का जिन्होंने क्रॉस वोटिंग का दावा किया था सही साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है।

यशवंत सिन्हां ने की थी अंतरआत्मा की आवाज पर वोटिंग की अपील

राष्ट्रपति चुनाव से दो दिन पहले यानि कि 16 जुलाई को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने सभी दलों से अपील करते हुए सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होंने अपील की थी, ‘इस साल राष्ट्रपति चुनाव दो व्यक्तियों के बीच नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं के बीच का चुनाव है। केवल एक पक्ष हमारे संविधान में निहित प्रावधानों और मूल्यों की रक्षा करना चाहता है। मैं सभी सांसदों और विधायकों से इस बार संविधान और उनकी अंतरात्मा की आवाज़ पर वोट करने की अपील करता हूं।’

यशवंत सिन्हा का राजनीतिक करियर

यशवंत सिन्हा ने साल 1984 में इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस इस्तीफा देकर जनता पार्टी के एक्टिव मेंबर के तौर पर सियासी पारी की शुरुआत की साल 1988 में यह राज्य सभा के मेंबर चुने गए। साल 1989 में जनता दल के महासचिव बने और चंद्रशेखर सिंह के मंत्रिमंडल में केंद्रीय वित्त मंत्री के तौर पर नवंबर 1990 से लेकर जून 1991 तक काम किया। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में ये एक बार फिर वित्तमंत्री बने। 21 अप्रैल 2018 को सिन्हा ने बीजेपी छोड़ दी थी और टीएमसी ज्वाइन कर लिया था। नामांकन दाखिल करने से पहले सिन्हा ने टीएमसी से भी इस्तीफा दे दिया था।

क्रॉस वोटिंग पर नेताओं ने दिए अपने-अपने तर्क

राष्ट्रपति चुनाव में जिन नेताओं ने क्रॉस वोटिंग की उन्होंने अपना-अपना तर्क दिया। किसी ने इसे अपनी अंतरात्मा की आवाज बताया तो किसी ने सिर्फ पार्टी के खिलाफ अपनी नाराजगी बताई। गुजरात के एनसीपी नेता कांधल जडेडा ने भी अपनी पार्टी के खिलाफ जाकर द्रौपदी मुर्मू को वोट किया, वहीं यूपी में बरेली के शहजील इस्लाम ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में समाजवादी पार्टी के खिलाफ जाकर वोटिंग की थी। वो आजम के करीबी हैं और अखिलेश यादव से नाराज बताए जा रहे थे। वहीं शिवपाल यादव ने भी द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ वोट डाला था और कहा था कि जो नेता जी (मुलायम सिंह की विचारधारा के खिलाफ है) मैं उसे कैसे वोट कर सकता हूं। यशवंत सिन्हा ने बीजेपी में रहते हुए सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को आईएसआई एजेंट कहा था इस बात से नाराज शिवपाल ने उन्हें वोट करने से इनकार कर दिया था और अखिलेश को भी ये बात याद दिलाई थी।