पिछले कुछ सालों में भारतीय जनता पार्टी देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर लगातार हमलावर रही है। कई बार बीजेपी के नेताओं ने नेहरु को लेकर कई आरोप लगाएं हैं। लेकिन देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पंडित नेहरु के राजनीतिक विरोधी होने के बाद भी काफी सम्मान करते थे। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद पंडित नेहरू की तस्वीर को साउथ ब्लॉक से हटवा दी गयी थी। जिसे वाजपेयी द्वारा सवाल खड़े करने के बाद फिर से लगायी गयी थी।
अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में उस घटना को याद करते हुए कहा था कि कांग्रेस के मित्र शायद भरोसा नहीं करेंगे। साउथ ब्लॉक में नेहरु जी का एक चित्र लगा रहता था। मैं आते-जाते देखता था। नेहरु जी के साथ सदन में नोंकझोंक भी हुआ करती थी। मैं नया था पीछे बैठता था कभी-कभी तो बोलने के लिए मुझे वॉकआउट करना पड़ता था। जब मैं विदेश मंत्री बना तो देखा कि टंगी हुई नेहरु जी की फोटो गायब है। मैंने सवाल किया कि यह चित्र कहा गया? कोई उत्तर नहीं दिया, लेकिन वो चित्र वहां फिर से लगा दी गयी।
वाजपेयी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि नेहरु जी से मतभेद नहीं था। मतभेद चर्चा में गंभीर रुप से सामने भी आती थी। मैंने एक बार पंडित जी से कह दिया था कि आपका एक मिलाजुला व्यक्तित्व है। आपमें चर्चिल भी है और चैंबरलेन भी है। वो नाराज नहीं हुए। शाम में एक कार्यक्रम में उनसे मुलाकात हो गयी तो उन्होंने मेरे भाषण की तारीफ भी की।
बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में कहा था कि आजकल वैचारिक मतभेद को लोग निजी दुश्मनी मान लेते हैं। गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी युवाअवस्था से ही आरएसएस से जुड़े रहे थे। उनका पूरा राजनीतिक जीवन कांग्रेस विरोध से भरा रहा।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहचान एक ऐसे नेता की तरह रही कि जिनकी स्वीकार्यता सभी राजनीतिक दलों में रहा करती थी। अटल बिहारी वाजपेयी 12 बार सांसद बने थे। वो साल 1957 में पहली लोकसभा के सदस्य बने थे। वो 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के सांसद बने।