Delhi Assembly Election History: दिल्ली में चुनावी बिगुल बज चुका है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में एक ही फेज में 5 फरवरी को वोटिंग होगी और तीन दिन बाद यानी 8 फरवरी को वोटों की काउंटिंग होगी। लेकिन क्या आप इस बात को जानते हैं कि यह दिल्ली का आठवां ही चुनाव है। देश को आजाद हुए करीब 75 साल का वक्त बीत चुका है। हाल ही में जो लोकसभा इलेक्शन हुआ था वह 18वां चुनाव था। लेकिन क्या आपके जहन में यह बात आई कि दिल्ली में केवल आठवां विधानसभा चुनाव ही क्यों है, जबकि लोकसभा के इलेक्शनों की संख्या तो ज्यादा है।
दिल्ली विधानसभा के चुनाव 27 मार्च, 1952 को भारत के पहले लोकसभा चुनाव के साथ हुए थे। इस इलेक्शन में 48 विधानसभा सीटों पर दांव लगाया गया था। इस वक्त मुख्य पार्टियों में कांग्रेस, भारतीय जनसंघ, किसान मजदूर पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी और हिंदू महासभा का नाम शामिल था। कांग्रेस ने 48 में से 37 सीटों पर जीत हासिल करते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया था। ब्रह्म प्रकाश यादव पहले सीएम बने थे। इसके बाद यादव की जगह पर साल 1955 में गुरमुख निहाल सिंह को सीएम बनाया गया। इसी साल में राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के बाद दिल्ली का राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया और वह केंद्र शासित प्रदेश बन गया।
देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 1956 में विधानसभा तो खत्म कर दी गई लेकिन बार-बार फिर से विधानसभा की मांग तेजी से उठती रही। इसके 10 साल बाद 1966 में विधानसभा की जगह 56 निर्वाचित और 5 मनोनीत सदस्यों वाली एक मेट्रोपोलिटन काउंसिल अस्तित्व में आई। दिल्ली के शासन में इस परिषद की भूमिका महज सलाहाकार की ही थी। यह किसी भी तरह का कोई कानून भी नहीं बना सकती थी।
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केंद्र ने कमेटी का गठन किया
केंद्र सरकार ने साल 1987 में दिल्ली के प्रशासन से जुड़े मसलों के लिए सरकारिया कमेटी का गठन किया। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता, लेकिन विधानसभा स्थापित की जा सकती है। 1992 में परिसीमन के बाद में दिल्ली में विधानसभा चुनाव का रास्ता क्लियर हो गया। फिर कहीं जाकर दिल्ली में 37 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए।
37 साल बाद चुनाव में बीजेपी ने मारी बाजी
37 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने विजयी परचम लहराया। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 49 सीटों पर बीजेपी ने बाजी मारी। सबसे खास बात यह है कि इस पांच साल के कार्यकाल में बीजेपी ने दिल्ली को तीन सीएम दिए। बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना बने। इनके बाद प्रवेश सिंह वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा की ताजपोशी हुई। इसके बाद सुषमा स्वराज को दिल्ली का सीएम बनाया गया। हालांकि, साल 1998 के हुए विधानसभा चुनाव में तस्वीर पूरी तरह से बदल गई। इस चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत हुई और शीला दीक्षित प्रदेश की सीएम बनीं। एक सीट से दो विधायक, 48 विधानसभाएं और ‘मुगले आजम’ की एंट्री… कहानी दिल्ली के पहले चुनाव की