वरुण गांधी आज भाजपा के सांसद हैं लेकिन उनके पिता संजय गांधी की गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती थी। हालांकि एक बार जब सोनिया और मेनका गांधी का रास्ता अलग हुआ तो अब इस परिवार के साथ आने की कोई गुंजाइश ही नजर नहीं आती। दोनों परिवारों के रास्ते तब और भी अलग हो गए जब बुलाने के बावजूद वरुण गांधी की शादी में सोनिया के परिवार से कोई नहीं शामिल हुआ। हालांकि इसके पांच साल बाद एक बार वरुण और राहुल एक ही मीटिंग में साथ दिखायी दिए थे। उन दोनों की कुर्सियां भी अगल-बगल ही थीं।
बात अप्रैल 2016 की है। विदेश मामलों की स्टैंडिंग कमिटी की मीटिंग में राहुल गांधी और वरुण गांधी शामिल हुए थे। अरसे बाद वे साथ दिखायी दिए थे। वे दोनों विदेश मामलों की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य थे। वे दोनों समिति की आखिरी बैठक में साथ दिखायी दिए थे। उस दौरान वे दोनों साथ बैठे और कई मुद्दों पर एक दूसरे का समर्थन भी किया।
यह बैठक कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता में हो रही थी। राहुल और वरुण जब आपस में मिले तो राहुल गांधी ने हलो कहा और फिर वरुण गांधी ने भी जवाब दिया। इस बैठक में जिस मुद्दे को राहुल गांधी ने उठाया उसका वरुण गांधी ने गर्मजोशी से समर्थन भी किया था। राहुल गांधी ने कहा था कि एनआरआई से शादी कर संकट में पड़ने वाली महिलाओं के लिे फंड कम है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए।
वरुण गांधी ने इसका समर्थन किया। जब वे कमरे में साथ नजर आए तो लोगों का ध्यान उनपर ही था। उनके मिलने के बाद संसद भवन में भी चर्चाएं होने लगी थीं कि क्या यह परिवार फिर से एक हो सकता है। दरअसल इससे पहले वे दोनों एक दूसरे की तरफदारी से बचते थे।
वरुण गांधी और राहुल गांधी दोनों ही चचेरे भाई हैं लेकिन उनकी विचारधार और भाषा शैली में खासा फर्क है। वरुण तीन महीने के थे तभी उनके पिता संजय गांधी का निधन हो गया था। बड़े हुआ तो पढ़ाई करने लंदन चले गए। मेनका गांधी का रास्ता पहले ही गांधी परिवार से अलग हो चुका था। इसलिए भारत लौटने के बाद वरुण उनके पद चिह्नों पर चलने लगे। उन्होंने 2004 में भाजपा की सदस्यता ली।