केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपनी हाजिरजवाबी और अपने काम में पूर्णता के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे गलत काम को बिल्कुल सहन नहीं करते हैं। वे सार्वजनिक रूप से ठेकेदारों को यह कहकर चेताते भी हैं कि “ये सड़क मेरे देश की संपत्ति है, इसकी अगर क्वालिटी ठीक नहीं होगी तो मैं तुमको छोडूंगा नहीं।” टीवी चैनल न्यूज-24 के एक कार्यक्रम में उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने कैसे धीरूभाई अंबानी का टेंडर निरस्त कर दिया था। बताया कि इसकी गूंज अमेरिकन प्रेसीडेंट बिल क्लिंटन के सामने भी हुआ।

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उन्होेंने कहा कि “हमारे देश में 47 के बाद रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जो प्रायोरिटी थी, वह नहीं मिली। 47 के बाद हमारे यहां साम्यवाद, समाजवाद और पूंजीवाद को लेकर राजनीतिक दल उसके साथ केंद्रित थे। बाद में अमेरिका का लिबरल इकोनॉमी तथा चाइना और रसिया का साम्यवाद मॉ़डल दोनों को दुनिया ने अस्वीकार्य किया। अब हमें ऐसा मॉडल चाहिए जहां गरीबों को रोजगार मिले, उनका विकास हो और देश का ग्रोथ रेट बढ़े। और जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं, कृषक, ग्रामीण और आदिवासी वे भी समाज के साथ आएं। इसके लिए सबसे बड़ा महत्वपूर्ण काम है पब्लिक-प्राइवेट इन्वेस्टमेंट इन इंफ्रास्ट्रक्चर।”

उन्होंने कहा कि “मैं इसका जन्मदाता हूं, इसलिए मैं इसकी बहुत सी बातें जानता हूं। कहा कि 1995 में जब मैं महाराष्ट्र में मंत्री था, तब मैंने मुंबई में 55 फ्लाईओवर बनवाए। उस समय मेरे पास पैसे नहीं थे। पहली बार देश का ठाडे-भिवंडी बायपास पहला रोड प्रोजेक्ट पहली बार बीओटी बिल्ट-ऑपरेट और ट्रांसफर मैंने शुरू किया। इस प्रोजेक्ट के लिए मेंरे पास पांच करोड़ रुपए ही थे। और अंबानी जी थे उस समय धीरूभाई उनका टेंडर मैंने रिजेक्ट किया था। और एमएसआरडीसी की स्थापना मैंने की थी। और पांच करोड़ पर मैंने कैपिटल मार्केट से पैसे खड़े किए। पहली बार मुझे 400 करोड़ चाहिए थी तो 1100 करोड़ मिले, 500 करोड़ मिले तो 1300 करोड़ मिले।”

उन्होंने कहा, “धीरूभाई का प्रोजेक्ट रिजेक्ट करने पर पंगा भी हुआ, लेकिन वे बहुत बड़े दिल के थे। उन्होंने मुझे बुलाया और काफी नाराज थे। कहा कि सरकार की क्या औकात है। तुम क्या रोड बनाओगे। अगर आप रोड बना सकोगे तो मैं आपका अभिनंदन करूंगा। मैंने कहा कि मैं तो बहुत छोटा आदमी हूं, मैं प्रयास करूंगा, लेकिन अगर मैं रोड बना सका तो आप क्या शेयरअप करोगे। बाद में जब रोड का काम शुरू हुआ तो धीरूभाई उस रोड का काम देखे तो उनको लगा कि रोड दो साल में मुंबई पूरा हाईवे बन रहा था। उनका टेंडर 3600 करोड़ का था, और मैंने उनसे कहा कि दो हजार करोड़ में करोगे तो मैं दूंगा नहीं तो मैं नहीं दूंगा। वही काम मैंने दो साल में 1600 करोड़ में पूरा कर दिया।”

गडकरी ने बताया, “धीरूभाई इतने अच्छे थे कि उन्होंने मुझे बुलाकर कहा कि तुम जीत गए और मैं हार गया। मैंने कहा- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। आप मुझसे बहुत बड़े हो आपका आशीर्वाद है। फिर जब क्लिंटन अमेरिकन राष्ट्रपति थे और मुंबई आए थे तो स्टाक एक्सचेंज में कार्यक्रम था। तब प्रमोद जी थे और मैं लीडर ऑफ अपोजिशन था। तो उन्होंने क्लिंटन के सामने मुझे बुलाया और कहा देखो यह हमारा मुंबई का लड़का है कितना अच्छा मुंबई का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया। उनको इस बात का अभिमान था।”