प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल सिंह ने कहा कि 40 सालों तक नेता जी (मुलायम सिंह यादव) के साथ काम करके पार्टी को इस मुकाम पर पहुंचाया है। उन्हें अखिलेश से केवल सम्मान चाहिए था। नहीं मिला तो पार्टी में विघटन हो गया। शिवपाल ने जब बताया कि 2012 में सपा को जीत मिलने के बाद संसदीय बोर्ड चाहता था कि मुलायम ही सीएम बनें। उन्होंने माना कि 2012 में सपा संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान उन्होंने प्रस्ताव दिया था कि नेताजी खुद सीएम बनें। लेकिन जब नेताजी ने अखिलेश को सीएम के लिए चुना तो उन्होंने दिल से इसे स्वीकार किया।

लल्लन टॉप से इंटरव्यू में शिवपाल सिंह ने कहा कि अभी भी वह समान विचारधारा वाली सेक्युलर पार्टियों को इकट्ठा करना चाहते हैं। उनका कहना है कि जहां पर भी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी रहेगी उसी की सरकार 2022 में बनेगी। वह एक बड़ी पार्टी को भी अपने साथ लाना चाहते हैं। उनकी प्राथमिकता सपा से गठबंधन की है। उन्होंने कहा कि, सपा से बातचीत खत्म नहीं हुई है। राजनीति में संभावनाएं कभी खत्म नहीं होतीं। अभी चुनाव में 5 महीने का समय बाकी है। उनका प्रयास है कि सपा से बात बन जाए।

शिवपाल यादव ने इटावा जिला पंचायत चुनाव का उदाहरण देते हुए बताया कि यहां पर उन्होंने सपा की मदद की। इसी वजह से उनका भतीजा अंशुल इटावा से जिला पंचायत अध्यक्ष बन सका। शिवपाल यादव ने कहा कि वह पार्टी के विलय के लिए तैयार हैं। लेकिन सम्मान के साथ वापसी होनी चाहिए। शिवपाल ने कहा कि जब उन्होंने पार्टी बनाई, तब नेताजी ने ही आदेश दिया था। तभी पार्टी बनाई। नेताजी ने जो आदेश दिया, वही उन्होंने किया। उनकी बात कभी नहीं टाली।

शिवपाल ने योगी सरकार को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री जी के बारे में उन्होंने कई बार कहा है कि वह मेहनती हैं। लेकिन यह सरकार पूरी तरह से इकबाल खो चुकी है। इनका नौकरशाही पर कंट्रोल नहीं है। उसकी वजह से पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार फैला है। आईएएस और पीसीएस अधिकारी सुनते नहीं हैं, जो सड़कें सपा सरकार ने बनाईं बस वही चल रही हैं। 5 साल में किसी भी सड़क पर काम नहीं हुआ है।

गौरतलब है कि यूपी में एक वक्त समाजवादी पार्टी से लेकर सरकार तक में शिवपाल यादव का जलवा दिखता था। 2017 के चुनाव में अखिलेश से दूरी के बाद उन्होंने अपने नए दल का गठन किया था। हालांकि उनके करीबी रहे तमाम नेता एसपी में या तो हाशिए पर चले गए थे या उन्होंने नए दल की सदस्यता ले ली थी। माना जा रहा है कि शिवपाल के साथ आने के बाद तमाम छोटे राजनीतिक दल भी एसपी के साथ समझौते में शामिल होकर एक साथ 2022 में चुनाव लड़ सकते हैं।