राजद नेता लालू प्रसाद यादव मौजूदा समय में सक्रिय राजनीति से दूर हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाने के बाद से ही उनके बयान टीवी पर काफी कम दिखते हैं। हालांकि, एक दौर ऐसा भी था, जब लालू प्रसाद यादव को संसद में उनकी वाकपटुता के लिए पहचाना जाता था। खास बात यह थी कि अपनी बात को वे इतने चुटीले अंदाज में कह जाते थे कि विरोधी भी ठहाके लगाने से नहीं रह पाते थे। ऐसा ही एक वाकया 2008 में यूपीए सरकार द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान भी हुआ। लालू प्रसाद यादव ने पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के पीएम न बन पाने के मुद्दे को इतनी आसानी से कह दिया कि इस पर जरा भी हंगामा नहीं हुआ।
क्या बोले थे लालू प्रसाद यादव?: राजद सुप्रीमो ने खुद के पीएम बनने की इच्छा का जिक्र करते हुए कहा था कि सदन में सबके मन में पीएम बनने की इच्छा है, हमारे मन में भी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा है। लेकिन हमें कोई हड़बड़ी नहीं है। बिना मेल के बियाह से, कनपटी पर सिंदूर रगड़ने से कोई नहीं बनता। इसके बाद लालू ने अंग्रेजी में जवाब मांग रहे नेताओं पर तंज कसते हुए कहा था, “ट्रांसलेट इट इन इंग्लिश आल्सो, आई डू नॉट वॉन्ट टू वेस्ट टाइम, आई विल एक्सप्लेन लेटर ऑन।” यानी “आप इसका अंग्रेजी में अनुवाद कर लें। मैं सदन का समय खराब नहीं करना चाहता। मैं इस बारे में बाद में विस्तार से बताउंगा।”
इसके बाद लालू ने पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यकों के पीएम बनने पर कहा, “कुछ मीडिया के लोग पूछते रहते हैं कि मायावती जी पीएम बनेंगी कि नहीं। हमने कहा कि इस अभिजात वर्ग का जो वर्चस्व है इस देश में, दलित की बेटी, पिछड़ा और मुस्लिम को कोई प्रधानमंत्री नहीं बनने देता। यह मैंने कहा। मायावती जी से मेरा व्यक्तिगत संबंध अच्छा है। उन्होंने हाल के चुनाव में हमारे उम्मीदवार के लिए मतदान किया।
लालू ने आगे कहा, “पीएम की इच्छा सबकी है। लेकिन कौन बनने देता है। कौन मुलायम सिंह यादव को, कौन लालू प्रसाद यादव को, कौन मायावती को, कौन माइनॉरिटी के लोगों को, किसी को बनने देना चाहता है?” मनमोहन सिंह की तरफ इशारा करते हुए लालू ने कहा, “पीएम साहब तो इसमें अपवाद हैं। इन अकाली दल के लोगों को सोचना चाहिए।”