मौजूदा संसद भवन 28 मई के बाद इतिहास के पन्नों में दर्ज  हो जाएगा। मुल्क की इस अहम इमारत का उद्धाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया था।  जिसके बाद से यह इमारत कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम की गवाह बनी। 

जिस वक़्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन कर इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे तो इसके साथ ही पुराना संसद भवन  96 साल पुराना दर्जा नए भवन को सौंप देगा।

कई ऐतिहासिक पलों को समेटे खड़ी है यह इमारत

पुराने संसद भवन ने साढ़े नौ दशकों तक अंग्रेजों के शाही शासन को देखा है और इसकी दीवारों आज़ादी की लड़ाई के दौरान शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा फेंके गए बमों की गूँज सुनी है।  इस इमारत ने देश में आजादी का सवेरा होते देखा और इसे 15 अगस्त 1974 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक ‘ट्राइस्ट विद डेस्टिनी’ (नियति से साक्षात्कार) भाषण की गवाह बनने का भी सौभाग्य मिला।  पहली मंजिल पर लाल बलुआ पत्थर के 144 स्तंभ वाला गोलाकार पुराना संसद भवन वास्तुकला (Architecture) का शानदार नमूना है।

अभिलेखीय दस्तावेजों और दुर्लभ पुरानी तस्वीरों के अनुसार, इस भव्य इमारत के उद्घाटन के लिए 18 जनवरी, 1927 को एक भव्य आयोजन किया गया था। उस समय इसे ‘काउंसिल हाउस’ के रूप में जाना जाता था।

देखिए नए संसद भवन के अंदर की EXCLUSIVE तस्वीरें | VIDEO

उस समय भी काफी चर्चाओं में था उद्धाटन समारोह

देश की आजादी से 26 साल पहले तब ब्रिटेन के ‘ड्यूक ऑफ कनॉट’ ने 12 फरवरी, 1921 को संसद भवन की आधारशिला रखी थी और कहा था कि यह भवन ‘‘भारत के पुनर्जन्म के प्रतीक के रूप में’’ खड़ा रहेगा, जिसमें देश ‘‘और भी ऊंचाइयाँ हासिल करेगा”।

 ‘न्यू डेल्ही – मेकिंग ऑफ ए कैपिटल’ पुस्तक के अनुसार, लॉर्ड इरविन अपनी गाड़ी में ‘ग्रेट प्लेस’ (अब विजय चौक) पहुंचे थे और फिर उन्होंने ‘‘सर हर्बर्ट बेकर द्वारा उन्हें सौंपी गई सुनहरी चाबी से ‘काउंसिल हाउस’ का दरवाजा खोला था।’’ उस समय घरेलू और विदेशी मीडिया में संसद भवन के उद्घाटन ने उसी तरह खूब सुर्खियां बटोरी थीं, जिस तरह इन दिनों नए संसद भवन की उद्घाटन से पहले मीडिया में खूब चर्चा है।

इनपुट : भाषा