उद्योगपति अनिल अंबानी को जब zee न्यूज के पत्रकार के सवाल नागवार गुजरे तो उन्होंने यह कहकर जवाब देने से इनकार कर दिया कि वह हिंदी में जवाब नहीं देंगे। आखिर में उन्होंने यह कहा कि जी बिजनेस तय नहीं करेगा कि वो क्या करें?

दरअसल अनिल से राज्य को बकाया इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी चुकाने को लेकर सवाल किया गया था। पत्रकार का दूसरा सवाल था कि डिफेंस सेक्टर को लेकर वो इतने उत्साहित रहते हैं तो नेवल से इस्तीफा क्यों दिया। अनिल ने अंग्रेजी में दिए जवाब में कहा कि इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के तौर पर राज्य को सभी ड्यूटी चुका दी गई हैं। दूसरे सवाल पर उनका कहना था कि कंपनीज एक्ट के तहत 10 से ज्यादा कंपनियों में नहीं रह सकता। ये फैसला उन्हें करने का कि वह कौन सी कंपनी रखें, किसे छोड़ें।

अनिल अंबानी की संपत्ति 4 लाख करोड़ रुपए हुआ करती थी। उस समय वह अपने पिता धीरूभाई अंबानी से मिली विरासत को संभाल रहे थे। लेकिन बदलते समय के साथ अनिल अंबानी धीरे-धीरे कर्जदार होते गए। हालात यहां तक बिगड़े की उन्हें अपना घर चलाने के लिए गहने तक गिरवी रखने की बात तक कहनी पड़ी। पिता धीरूभाई की संपत्ति बंटने के बाद अनिल और मुकेश ने एक साथ अपना कारोबार बढ़ाया।

मुकेश दुनिया के सबसे अमीर कारोबारियों में से एक हैं लेकिन अनिल लगातार कर्ज के दलदल में फंसते जा रहे हैं। हालात यहां तक बदतर हो चुके हैं कि उनकी कंपनियों का मार्केट कैप 4 लाख करोड़ से घटकर दो हजार करोड़ रुपए तक सिमट गया है। ब्रिटेन की अदालत में उन्हें यहां तक कहना पड़ा कि घर चलाने के लिए उन्हें अपने घर के गहने तक बेचने पड़ रहे हैं। अनिल को नजदीकी जानने वाले कहते हैं कि एक के बाद एक करके गलत फैसले लेने की वजह से आज अनिल अर्श से फर्श पर आ चुके हैं।

ब्रिटेन की कोर्ट में अनिल ने कहा कि उनके पास केवल एक कार है। उनके पास आमदनी का कोई दूसरा जरिया नहीं है। उनके पास वकीलों की फीस देने तक के पैसे नहीं हैं। उनका खर्च पत्नी ही उठाती हैं। बकौल अनिल, उनका खर्च बेहद कम है। न तो वह लग्जरी कारों के शौकीन हैं और न ही उनका लाइफ स्टाइल ऐसा है जो उन्हें बहुत ज्यादा खर्च करने पर हासिल होता है। उनका कहना है कि वह अपनी संपत्तियों को बेचकर कर्ज चुका रहे हैं।