दिग्गज कारोबारी रतन टाटा उड़ान भरने के मामले में कोई अजबनी शख्स नहीं है। उन्होंने महज 17 साल की उम्र में एक ऐसे विमान की सुरक्षित लैंडिंग करवा दी थी जिसका इंजन हवा में खो गया था। उन्होंने F-16 फाइटर जेट भी उड़ाया है। हालांकि विमानों के प्रति इतना लगाव होने के बावजूद उन्हें इस क्षेत्र के बिजनेस में कोई खास कामयाबी नहीं मिली।

दरअसल उनके ग्रुप की दो एयरलाइंस एयरएशिया इंडिया और विस्तारा कोरोना वायरस महामारी के पहले से संघर्ष कर रही थीं। कोविड-19 ने अब टाटा संस लिमिटेड को चौराहे पर ला खड़ा कर दिया है। दोनों एयरलाइंस में कंपनी की 51-51 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐसे में अब या तो इसे एयरइंडिया लिमिटेड को खरीदना है या फिर रेड जोन में चले जाना है। टाटा ग्रुप के बारे में कहा जाता है कि ये एयर इंडिया को खरीदने वाला संभावित दावेदार है। मगर टाटा समूह एयरलाइन खरीदे इसके बारे में स्पष्ट और पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है।

बताते चलें कि बिजनेस जगत का एक और बड़ा नाम वॉरेन बफेट इस साल की शुरुआत में सभी एयरलाइन शेयरों से बाहर निकल गए। तब उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी ने बिजनेस मॉडल को एकदम बदल दिया है। इसी तरह अरबपति बिजनेसमैन रिचर्ड ब्रैनसन कह चुके हैं कि अगर आपको करोड़पति बनना है तो एक अरब डॉलर से एक नई एयरलाइन शुरू करनी चाहिए।

मगर माना जाता है कि टाटा ग्रुप अलग तरह से काम करता है और वो किसी भी कीमत पर एयरलाइन का काम आगे बढ़ाने की दिशा में सोच विचार कर रहा है। हालांकि विस्तारा और एयरएशिया इंडिया ने कभी पैसे नहीं कमाए और इस साल मार्च से दोनों को संयुक्त रूप से 845 मिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है। ये जानकारी सीएपीए के अनुमानों के आधार पर है।

यहां तक टाटा के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके साइरस मिस्त्री इस बारे में चेता चुके हैं। उन्होंने 2016 के अक्टूबर महीने में लिखे एक पत्र में कहा था कि एयरएशिया ग्रुप के साथ साझेदारी निरर्थक थी। साइरस मिस्त्री इसी तरह सिंगापुर एयरलाइंस के साथ विस्तारा के कामकाज से खुश नहीं थे।