UP News: हापुड़ के इंद्र नगर में 40 घर PMJAY के तहत हाल ही में बनाए गए हैं। यह एक केंद्रीय आवास योजना है। अब इन घरों में रहने वाले परिवारों को नगर परिषद ने नोटिस जारी किया है। गंगाराम राम नाम के शख्स गढ़मुक्तेश्वर में कैंडी और चिप्स की एक छोटी सी दुकान चलाते हैं। उनको भी नगर परिषद का नोटिस मिला है। इसमें कहा गया है था कि जमीन पर उनका कब्जा अवैध है। इतना ही नहीं 1986 से रह रहे 40 अन्य परिवारों को भी नोटिस मिला है।

8 अप्रैल को जारी नोटिस में कहा गया है कि यह जमीन सरकारी है और तालाब वाली जगह पर मकान बनाए गए हैं। नोटिस में लिखा है, ‘आपने नगर पालिका की जमीन पर अवैध कब्जा करके मकान बना लिया है और आप इसे हटाना नहीं चाहते हैं, इसलिए आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना जरूरी है। नोटिस मिलने के 15 दिन के अंदर जमीन से अपना कब्जा हटाकर जमीन नगर पालिका को सौंप दें, नहीं तो आपके खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे।’

नोटिस में क्या लिखा है?

स्थानीय लोगों ने कहा कि यह नोटिस काफी चौंका देने वाला है। गंगाराम के पड़ोसी प्रकाश गढ़मुक्तेश्वर नगर पालिका परिषद की तरफ से दिए गए नोटिस के एक खास पैराग्राफ के बारे में बताते हैं। इसमें लिखा है, ‘नगर पालिका अधिकारियों ने आपको कई बार मौखिक रूप से जमीन खाली करने के लिए कहा है, लेकिन आप वैधानिक प्रावधानों का पालन किए बिना जमीन खाली करने से इनकार करते हैं और अपने अहंकार (अपनी हेकड़ी के बल पर) में आप कहते हैं कि उक्त जमीन लैंड रिकॉर्ड में हमें दी गई है और सरकार ने हमें रिकॉर्ड दिए हैं। उक्त जमीन पर किसी भी रेजिडेंशियल प्लॉट का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है और वैसे भी अगर किसी के नाम पर लैंड रिकॉर्ड बनाए गए हैं, तो उन्हें रद्द कर दिया गया है।’

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हम मामले की जांच कर रहे – डीएम प्रेरणा शर्मा

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हापुड़ जिला प्रशासन ने कहा कि उन्हें कई शिकायतें मिली हैं और उन्होंने लोगों से मुलाकात की है। डीएम प्रेरणा शर्मा, ‘हम इस मामले की जांच कर रहे हैं। यह मंगलवार को हमारे संज्ञान में लाया गया था। अगर लोगों के दावे सही हैं, तो हम जांच करेंगे। हम PMAY के तहत जमीन के कामों की प्रामाणिकता की जांच नहीं करते हैं, हम केवल यह जांचते हैं कि क्या व्यक्ति काम के अनुसार सही मालिक है। हमें दावों की जांच करने की जरूरत है।’

नोटिस मिलने के बाद एक बाद गंगाराम और कॉलोनी के कई लोग एग्जीक्यूटिव ऑफिसर्स से मिलने गए। गंगाराम ने कहा, ‘मैंने सिर्फ चौथी क्लास तक पढ़ाई की है और सिर्फ अपना नाम पढ़ सकता हूं। कॉलोनी के अन्य लोगों ने मुझे समझाया कि वे चाहते हैं कि मैं अपना घर खाली कर दूं। अधिकारियों ने हमें बताया कि हमारी कॉलोनी अवैध है। उन्होंने हमें अदालत में याचिका दायर करने के लिए कहा। हम गरीब हैं, हम सिर्फ शिकायत कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना का लेना चाहते हैं फायदा?

गंगाराम ने बताया, ‘मुझे पहले लॉकडाउन के बाद तीन किस्तों में पीएमएवाई के तहत पैसे मिले। पहली किस्त में मुझे 1 लाख रुपये और अगली दो किस्तों में 50-50 हजार रुपये मिले। मैंने निर्माण पूरा करने के लिए पिछले कई सालों में बचाए गए 1.5 लाख रुपये भी इस्तेमाल किए।’ इंद्रनगर के लोगों के मुताबिक, वे गढ़मुक्तेश्वर के चौपला से इस इलाके में आए थे। यह उस वक्त गाजियाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता था। सभी लोगों ने 18 जुलाई, 1986 को तत्कालीन स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी किए गए नोटिस की एक कॉपी अभी भी संभाल कर रखी है।

इसमें कहा गया था, ‘रिहेबिलेशन के मकसद से सामूहिक आवेदन पत्र पर विचार करते हुए, हमने फैसला लिया है कि आपको 100 गज जमीन दी जाए ताकि रिहेबिलेशन की समस्या हल हो जाए। आपको जमीन बेचने और ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं होगा। जमीन का इस्तेमाल आप और आपके परिवार के सदस्य आवासीय उद्देश्यों के लिए करेंगे।’

मुझे घर बनाने के लिए 2.5 लाख रुपये मिले – गंगाराम की पड़ोसी

गंगाराम की पड़ोसी ने बताया, ‘हां, जब हमें जमीन मिली थी, तब यहां एक सूखा तालाब था। लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों ने खुद ही इसे भर दिया और हमें यहां बसने में मदद की।’ कमला नाम की महिला भी एग्जीक्यूटिव ऑफिसर से मिलने गई थीं। उन्होने कहा कि मेरे पति की मृत्यु 14 साल पहले हो गई थी। मुझे घर बनाने के लिए 2.5 लाख रुपये मिले और खेतों में काम करके या बाजार में सब्जियां बेचकर बचाए गए 80,000 रुपये और खर्च किए।

कमला नगर पालिका ऑफिस के बाहर इंतजार कर रही थीं। उन्होंने कहा, ‘हममें से केवल कुछ लोगों को ही अंदर जाने की इजाजत दी गई। अधिकारियों ने हमसे कहा कि उन्होंने जो करना था वह कर दिया है, और अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम क्या कर सकते हैं। हम सो नहीं सकते, हमने अपने घर बनाने के लिए जो भी पैसे बचाए थे, वे सब खर्च कर दिए हैं। अब हम कहां जाएंगे।’ मिडिल और लोअर-मिडिल क्लास के इन लोगों को भी अब प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा