Caste Census Impact On Bihar Election: बिहार चुनाव से पहले मोदी सरकार ने जाति जनगणना का ऐलान कर दिया है। इस ऐलान के बड़े मायने हैं क्योंकि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, तेजस्वी यादव लंबे समय से इसे लागू करने की मांग कर रहे थे। अब विपक्ष के नेता मांग रहे थे लेकिन केंद्र सरकार ने करके दिखा दिया है यानी कि मांगने से ज्यादा बड़ा देने वाला बन चुका है। अब जाति जनगणना क्या होती है, इसे क्यों लाया जा रहा है, इसकी चर्चा कई बार हो चुकी है, लेकिन यहां पर समझने की जरूरत यह है कि इस फैसले के राजनीतिक मायने क्या रहने वाले हैं, बिहार चुनाव में तो जाति जनगणना का सीधा असर रहने वाला है।
विपक्ष के हाथ छीना गया बड़ा मुद्दा
यहां पर कुछ जानकार तो कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक मास्टर स्ट्रोक कदम उठा लिया है क्योंकि उन्होंने सिर्फ जाति जनगणना लागू करने की बात नहीं की है बल्कि उनकी तरफ से इस एक दांव के जरिए विपक्ष के मुद्दे को भी उनके हाथ से छीन लिया गया है। जो राहुल गांधी, जो तेजस्वी यादव लगातार अपनी हर रैली में जाति जनगणना की बात कर रहे थे, यहां तक कह रहे थे कि सरकार बनने पर सबसे पहले इसी का ऐलान किया जाएगा, अब मोदी सरकार ने समय से पहले या कहना चाहिए चुनाव से ठीक पहले विपक्ष के उस मुद्दे की धार को खत्म कर दिया है।
आरक्षण विरोधी वाली छवि को किया खत्म
इसके ऊपर बीजेपी को एक और बड़ा फायदा होने वाला है। अभी तक तो बिहार में विपक्ष द्वारा लगातार ऐसा आरोप लगाया जा रहा था कि बीजेपी आरक्षण विरोधी है, वो आरक्षण खत्म करना चाहती है। बीजेपी के तमाम बड़े नेता रैली में इस बात का खंडन करते थे, लेकिन साथ में कोई ऐसा साक्ष्य नहीं था जो इस बात को साबित भी कर सके। इसी वजह से राहुल से लेकर तेजस्वी तक कई बार काफी तीखे वार कर चुके थे। लेकिन अब आरक्षण विरोधी वाली छवि को भी बदलने का मौका मिल चुका है, जाति जनगणना के एक ऐलान ने बीजेपी को नई संजीवनी दे दी है, पार्टी बिहार चुनाव में अब नेरेटिव अपने मुताबिक तय करेगी।
नीतीश का वोटबैंक करना है हासिल
यहां पर एक और समझने वाली बात यह भी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बिहार में अपने स्तर पर जाति जनगणना करवा रखी है। बिहार की जैसी राजनीति रही है, इतने सालों बाद भी बीजेपी जेडीयू की छोटा भाई बनकर रह चुकी है। पिछली विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटें मिलने के बाद भी सीएम की कुर्सी नीतीश कुमार के पास ही गई। जानकार इसका एक बड़ा कारण यह मानते हैं कि पिछड़े, अति पिछड़े और दलितों में नीतीश कुमार का दबदबा आज भी कायम है और बीजेपी वैश्य और सर्वण वोट बैंक के आधार पर ही राजनीति करने की कोशिश कर रही है।
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