देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर पीएम मोदी देश को बड़ा तोहफा दिया है। मध्य प्रदेश और बुंदेलखंड क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल संकट के लिए इस परियोजना को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। परियोजना के लिए 44,608 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई है। इसमें केंद्र सरकार 90 प्रतिशत खर्च उठाएगी। बाकी 10 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करेगी। इस प्रोजेक्ट का फायदा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लोगों को मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास खजुराहो के मेला ग्राउंड से करेंगे।

क्या है केन बेतवा लिंक परियोजना?

केन-बेतवा लिंक परियोजना का उद्देश्य मध्य प्रदेश में केन नदी से पानी को यूपी के बेतवा नदी में ट्रांसफर करना है। इससे बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त इलाके में सिंचाई की जा सकेगी। केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किमी उत्तर की ओर बहने के बाद उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में चिल्ला गांव में यमुना नदी में मिलती है। वहीं बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से निकलकर 576 किमी बहने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना में मिलती है। इन दोनों नदियों को आपस में जोड़ने की योजना है।

किसे मिलेगा फायदा?

अटल बिहारी जब देश के प्रधानमंत्री थे तब देश की 36 नदियों को आपस में जोड़ने का फैसला किया गया था। इन्हीं में एक प्रोजेक्ट केन-बेतवा नदी को लेकर भी था। इस योजना के पूरा होने के बाद मध्य प्रदेश में शिवपुरी, निवाड़ी, दतिया, रायसेन, विदिशा, छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ़, और सागर जिले के 1900 के करीब गांवों का फायदा होगा। इस इलाके में करीब 41 लाख आबादी रहती है। इसकी सबसे बड़ी समस्या पानी की है। इस परियोजना से 103 मेगावॉट की सोलर बिजली का उत्पादन किया जाएगा। वहीं यूपी के महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा जिलों में किसानों को फायदा होगा।

दो चरणों में पूरा होगा काम

इस परियोजना के काम को पूरा करने के लिए 8 साल का समय लगेगा। पहले चरण में मध्यप्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिलों में केन नदी पर दौधन बांध का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए तीन हजार चार सौ करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है। खास बात यह है कि बांध के लिए भूमि अधिग्रहण का काम 60 प्रतिशत पूरा हो गया है। इससे 10 लाख से अधिक हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। साथ ही बुंदेलखंड की पूरी तस्वीर बदल जाएगी। इसके दूसरे चरण में विदिशा में बेतवा नदी, सागर जिले के बीना में, शिवपुरी में उर नदी पर बांध बनाए जाएंगे। दूसरे चरण में सात बांधों का निर्माण किया जाएगा।

बिजली संकट भी होगा दूर

इस प्रोजेक्ट से ना सिर्फ सिंचाई के लिए लोगों को राहत मिलेगी बल्कि बिजली संकट भी दूर होगा। इस परियोजना से मध्य प्रदेश में 103 मेगावॉट जल विद्युत और 27 मेगावॉट सौर ऊर्जा बनेगी। यहां दो पॉवर प्लांट बनाए जाएंगे। इनकी क्षमता 60 मेगावॉट और 18 मेगावॉट की होगी। दोधन बांध से 60 मेगावॉट और लोवर लेवल टनल से 18 मेगावॉट जलविद्युत का उत्पादन होगा। शिवपुरी जिले में ऊर नदी के लोअर ऊर बांध पर 19 मेगावॉट सौर ऊर्जा, सागर में बीना नदी पर बीना परियोजना में 21 मेगावॉट जल विद्युत और विदिशा में बेतवा नदी पर कोठा बैराज में 8 मेगावॉट सौर ऊर्जा बनेगी। आगे पढ़ेंः कोलकाता की सड़कों से क्यों गायब होने जा रहीं पीली टैक्सियां? ट्राम के बाद इतिहास बनेगी ‘लाइफलाइन’