राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने सोमवार को गाय के गोबर से बनी एक चिप लॉन्च की है। आयोग ने दावा किया है कि इस चिप से मोबाइल हैंडसेट्स का रेडिएशन काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके अलावा कामधेनु आयोग ने गाय के गोबर से बने कई अन्य प्रोडक्ट भी लॉन्च किए हैं, जिससे दीवाली पर प्रदूषण को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही राष्ट्रीय कामधेनु आयोग अचानक ही चर्चा में आ गया है।
क्या है राष्ट्रीय कामधेनु आयोग?: भारत सरकार ने पशुपालन में आधुनिक और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए 2019 में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन किया था। इस आयोग का मकसद पशुओं की नस्ल का संरक्षण और उन्हें बेहतर बनाना है। इसके साथ ही गोहत्या को रोकना भी इस आयोग की जिम्मेदारी है। सरकार ने पिछले साल कामधेनु आयोग को 500 करोड़ रुपए का बजट दिया था।
गुजरात के राजकोट से भाजपा सांसद वल्लभभाई कथीरिया इस आयोग के अध्यक्ष हैं। आयोग गाय के गोबर और मूत्र के कमर्शियल इस्तेमाल को बढ़ावा देता है। आयोग की कोशिश है कि युवाओं को गाय के दूध, घी और गोबर, मूत्र का इस्तेमाल कर मेडिकल या कृषि आधारित स्टार्ट अप खोलने को प्रोत्साहित किया जा सके।
कामधेनु आयोग वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों को प्लेटफॉर्म भी मुहैया कराता है, जिससे वह गाय संबंधी चीजों पर रिसर्च करें। आयोग गौशाला चलाने वाले लोगों को भी स्किल डेवलेपमेंट की ट्रेनिंग देता है।
बता दें कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने मोबाइल रेडिएशन रोकने वाली चिप के साथ ही चीन निर्मित उत्पादों के बहिष्कार को सुनिश्चित करने के लिए गाय के गोबर से बने दिए और भगवान गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमाओं सहित कई दूसरी सामग्री तैयार की हैं। आयोग ने कामधेनु दीपावली अभियान के तहत ये सभी चीजें तैयार की हैं।
आयोग गाय के गोबर से दीए, मोमबत्तियां, धूप, अगरबत्तियां, शुभ-लाभ, स्वास्तिक, समरानी, हार्डबॉर्ड, हवन सामग्री आदि का भी निर्माण कर रहा है। आयोग का कहना है कि यह प्रयास गौशालाओँ और गायों को बचाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।