Madras High Court Judgement on Khula : मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने मुस्लिम महिलाओं के तलाक को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम महिलाएं भी खुला (Khula Talaq) के लिए फैमिली कोर्ट (Family Court) से संपर्क कर सकती हैं। इस टिप्पणी को अहम इसलिए भी माना जा रहा है कि इसके बाद मुस्लिम महिलाओं में भी पति को तलाक देने का कानून रास्ता खुलेगा। कोर्ट ने कहा कि शरीयत काउंसिल जैसी निजी संस्थाएं तलाक को लेकर सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सकती हैं। यह पूरी तरह से अवैध है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि खुला भी तलाक का एक रूप है।
क्या है मामला?
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की याचिका पर की है। 2017 में पीड़ित की पत्नी को शरीयत की ओर से ‘खुला’ प्रमाण पत्र जारी किया गया था। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता का कहना था कि तमिलनाडु सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1975 के तहत पंजीकृत शरीयत को इस तरह के प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की मांग को सही ठहराते हुए इस पर अहम टिप्पणी की है।
क्या है ‘खुला’ What is Khula Talaq?
खुला इस्लाम में तलाक की एक प्रक्रिया है। खुला से जरिए मुस्लिम महिलाएं भी अपने शौहर से अलग हो सकती हैं। यह तीन तलाक से थोड़ा अलग होता है। तीन तलाक में शौहर अपनी पत्नी को तलाक देता है जबकि खुला के जरिए पत्नी अपने शौहर को तलाक देती है। तलाक की तरह खुला का विवरण भी कुरान और हदीस में मिलता है। तलाक की तरह ही अगर पत्नी अपने पति से तलाक लेती है तो उसे कुछ संपत्ति पति को वापस करनी पड़ती है। खुला के लिए पत्नी और उसके शौहर दोनों की सहमति होनी चाहिए। खुला का प्रस्ताव केवल पत्नी ही रख सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में भी हुआ जिक्र
तलाक-ए-हसन और इसके जुड़ी अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में भी खुला को लेकर चर्चा सामने आई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान ‘खुला’ का भी जिक्र किया। जस्टिस एस.के. कौल और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की बेंच ने कहा कि अगर पति और पत्नी एक साथ नहीं रहना चाहते तो संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत तलाक दिया जा सकता है।