कर्नाटक में पंचमसाली लिंगायत प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज किए जाने के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को कर्नाटक विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। पंचमसाली लिंगायत राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लिंगायत समुदाय का सबसे बड़ा उप-संप्रदाय है। वह मांग कर रहे हैं कि उन्हें मौजूदा 3बी (पांच प्रतिशत) के बजाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण मैट्रिक्स की 2ए (15प्रतिशत) श्रेणी में शामिल किया जाए। जानकारी सामने आ रही है कि प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर पत्थरबाजी की, जिसके चलते पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
क्या है पूरा मामला?
पंचमसाली लिंगायत समुदाय की आरक्षण की मांग को लेकर मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने विरोध को दबाने और समुदाय की मांगों को पूरा करने से इनकार करने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर निशाना साधा है। विधानसभा में कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी क्योंकि भाजपा सदस्य सरकार के बयान पर अड़े रहे। जब विधानसभा अध्यक्ष यू टी खादर ने मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा को जवाब देने की अनुमति दी, तो उन्होंने आरक्षण के मुद्दे के अनसुलझे होने के लिए पिछली भाजपा नीत सरकार को दोषी ठहराया।
पीटीआई भाषा के मुताबिक प्रश्नकाल के बाद मामले को संबोधित करने के अध्यक्ष के आश्वासन के बावजूद, भाजपा के विरोध के कारण कार्यवाही को शुरू में स्थगित करना पड़ा। जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तो गृह मंत्री परमेश्वर ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने का हवाला देते हुए पुलिस कार्रवाई का बचाव किया।
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नाम न बताने की शर्त पर एक राज्य मंत्री ने कहा, “उप-संप्रदाय के लिए आरक्षण प्रदान करने से भानुमती का पिटारा खुल जाएगा क्योंकि अन्य समुदाय भी इसी तरह की मांग उठाएंगे। इसके अलावा, अन्य ओबीसी समुदायों ने पहले ही धमकी दी है कि अगर यह मांग पूरी की गई तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।” कांग्रेस ने कहा है कि संविधान के तहत आरक्षण की मात्रा बढ़ाना संभव नहीं है।
बीजेपी विधायक बनसंगौड़ा पाटिल यतनाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पंचमसाली की मांग “असंवैधानिक नहीं है”। उन्होंने कहा, “पंचमसाली को 2ए श्रेणी में शामिल करके आरक्षण मानदंडों को संशोधित करने में क्या गलत है?”